आश्रम पर अधिकार नहीं फिर भी बेचने की तैयारी में बाबा

हरिद्वार। तीर्थनगरी में अब एक और आश्रम को एक बाबा ने बेचने की तैयारी कर ली है। बाबा आश्रम के लिए ग्राहकों को तलाशने में लगा हुआ है। कुछ दलाल भी बाबा ने आश्रम का सौदा करने के लिए लगाए हुए हैं। एक-दो लोगों की बाबा से वार्ता भी हुई है। इस सबमें मजेदार बात यह की न तो वह आश्रम बाबा का है और न ही बाबा उस अखाड़े का है, जिस अखाड़े का आश्रम बताया गया है।

उल्लेखनीय है कि तीर्थनगरी में आश्रम-अखाड़ों की सम्पत्ति को बेचना, उन पर कब्जा करना या माफियाओं के साथ मिलकर इनको खुर्दबुर्द करने का सिलसिला लम्बे अर्से से चल रहा है। ऐसा शायद ही कोई आश्रम-अखाड़ा हो जिसका सम्पत्ति को लेकर न्यायालय में विवाद न चल रहा हो। कुछ कथित भगवाधारी तो ऐसे हैं, जो धार्मिक सम्पत्तियों को खुर्दबुर्द कर मोटा धन कमाकर विलासिता का जीवन जी रहे हैं।

वहीं सूत्र बताते हैं कि तीर्थनगरी के एक कथित बाबा अब एक आश्रम को बेचने की तैयारी में हैं। जिसके लिए ग्राहकों की तलाश की जाने लगी है। इसमें मजेदार बात यह कि जिस आश्रम को बेचने की बाबा जुगत में लगा है न तो वह आश्रम बाबा का है और न ही जिस सम्प्रदाय का आश्रम है, उस सम्प्रदाय से बाबा का कोई लेनादेना है। बावजूद इसके अपने प्रभाव और नेताओं की चमचागिरि कर यह बाबा अभी तक बिना अधिकार के करोड़ों रुपये की सम्पत्ति को खुर्दबुर्द कर चुका है।


सूत्रों के मुताबिक जिस आश्रम को बाबा बेचना चाह रहा है वह पूर्व से ही विवादित है और उसका मामला न्यायालय में चल रहा है।
वैसे बाबा अपने प्रभाव के चलते न्यायालय को भी ताक पर रखता है। पूर्व में सम्पत्ति बिक्री पर कोर्ट के रोक संबंधी आदेश के बाद भी बाबा सम्पत्ति को बेच चुका है। बावजूद इसके बाबा के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई। बाबा के आगे क्या नेता और क्या अधिकारी सभी नतमस्तक रहते हैं। यदि ऐसा नहीं है तो आज तक बाबा के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई। अब देखना यह होगा की न्यायालय में सम्पत्ति के चल रहे विवाद के बाद भी क्या बाबा अपने प्रभाव में कामयाब हो पाएगा। क्या बाबा आश्रम को बेचने में सफल होगा।

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