हरिद्वार। चुनावी रण के लिए भेरी बज चुकी है। रण हरिद्वार में 19 अप्रैल को होगा और इसका परिणाम 4 जून को सामने आ जाएगा। फिलहाल रण विजय के लिए सभी दल व प्रत्याशी चक्रव्यूह रचने में मशगूल हैं। हर प्रत्याशी अपनी जीत के दावे कर रहा है। किन्तु ईवीएम के द्वारा होने वाले इस रण में विजयश्री किसी एक का ही वरण करेगी। वह कौन होगा यह भविष्य के गर्भ में छिपा हुआ है, जिसका पता 4 जून को लग जाएगा।
जहां एक ओर पार्टी व प्रत्याशी चुनाव में विजयश्री हासिल करने के लिए प्रचार और रणनीति मे ंमशगुल हैं वहीं चयचंद भी अपने खेल में पीछे नहीं हैं। वह भी साथ रहते हुए अपने ही प्रत्याशी की हार के लिए रणनीति बनाने में मशगूल हो रखे हैं। हालांकि कुछ जयचंद साथ रहकर 400 पार का नारा लगा रहे हैं, किन्तु रात के अंधेरे में अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी की जड़ों में मट्ठा देने से पीछे नहीं हैं।
इसमें कुछ दलों के नेता तो खुलकर सामने आ गए हैं और उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देकर अपनी नाराजगी प्रकट भी कर दी है, किन्तु कुछ ऐसे हैं, खासकर भाजपा में अपनी नाराजगी प्रकट नहीं कर रहे हैं। साथ ही उम्मीद्वार के साथ खड़े होने का नाटक भी कर रहे हैं और भीतरघात में भी सबसे आगे हैं।
सूत्रों के मुताबिक दो दिन पूर्व रात के अंधेरे में कुछ नेताओं की इसी सिलसिले में गुफ्तगू हुई। जिसमें नेताओं के साथ अन्य भी शामिल रहे। बैठक में भाजपा प्रत्याशी त्रिवेन्द्र सिंह रावत की जड़ों में मट्ठा देने के लिए रणनीति पर विचार किया गया। मजेदार बात यह कि इन बैठक में ऐसे लोग शामिल थे, जो त्रिवेन्द्र सिंह रावत के सर्वाधिक रिकार्ड मतों से विजयश्री का दावा कर रहे हैं। अपनी ही पार्टी के जयचंदों के कारण त्रिवेन्द्र की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, किन्तु जनता भी समझदार है। वह जयचंदों को समझ चुकी है। शेष चुनाव परिणामों से पता चल जाएगा की जयचंद अपनी रणनीमि में कामयाब होते हैं या फिर जयचंदों को इस बार भी मुंह की खानी पड़ती है।