विटामिन बी-12 एवं विटामिन-डी की कमी..

कारण और निवारण :
भारत में अंदाजे से 47% आबादी विटामीन बी-12 और डी की कमी की समस्या से जूझ रही है,
बाकी की दुनिया का भी यही हाल है चाहे वो मांसाहारी हो या शाकाहारी या फलाहारी,
इससे निपटने हेतु कुछ देश के आरोग्य मंत्रालय द्वारा पैकेज्ड खाने पीने की चीज में विटामीन बी-12 और विटामीन डी की मिलावट (fortification) के लिए सूचना जारी की गई है…
दुर्बलता, थकान महसूस होना, बालों का ज्यादा गिरना, कम उम्र में सफेद होना, जोड़ो में या उंगलियों में दर्द होना, हाथ पैर में नमी महसूस होना, भूख नही लगना और थोड़ा सा खाते ही गैस की वजह से पेट भरा भरा लगना जैसे लक्षण इसी कमी की वजह से हो सकते है।


तो रेगुलर इंटरवल में रिपोर्ट करवाने चाहिए,
हाल ही में एक व्यक्ति को विटामिन बी-12 का स्तर 19 तक कम हो गया। डॉक्टर के पास गए उन्हें हाल का डायट नही बताया उन्होंने सलाह दी कि आपका खानपान सुधारना चाहिए जैसे की पालक, अंकुरित चीज, फल और सलाद डायट में ज्यादा शामिल करना चाहिए जो कि वो व्यक्ति पहले से ही ले रहा था। सही में उस व्यक्ति का खानपान और डाक्टर साहब दोनो ही सही थे तो फिर भला समस्या हुई क्यों?
और यह जीवन जरुरी विटामिन एवं दूसरे सुक्ष्म पोषण तत्व हमारे लिवर में आरक्षित होते है इसलिए यह कमी महसूस होने में 2 से 5 साल का समय होता है।

उस दौरान कदम उठाने चाहिए,
विटामीन बी-12 बनाने के लिए 3 से 4 प्रकार के सुक्ष्म जीव यानी बैक्टरीया जरुरी होते है लेकिन आजकल दुनिया को कोने कोने से कीटाणु मारने वाली बुरी आदत लग गई है,
सुबह उठते ही टूथपेस्ट, साबुन शैम्पू, डेटॉल जैसे अनगिनत रसायनों पर टूट पड़ते हैं।

आजकल तो सब्जियां धोने के भी केमिकल्स बाजार में आ चुके हैं,
पहले लोग नदी, कुआ, बावड़ी का पानी पीते थे और सजीव खेती (ऑर्गेनिक) करते थे।

आज हम पढ़े लिखे लोग R.O. का फिल्टर पानी पी रहे हैं जिसमे नेचुरल नाम की कोई चीज होती ही नहीं है क्योंकि नेचुरल चीजें तो RO की ऐड करने वाले सेलिब्रिटी ही पी जाते हैं।

नगर पालिका से भी फिल्टर्ड पानी आ रहा है और खेती पूरी तरह से रसायनिक खाद और दवाइयों से हो रही है,
हाइब्रिड बीज इस्तेमाल हो रहे हैं उपर से उसको लंबे समय स्टोरेज करने के लिए और वैक्स (मोम) जैसे केमिकल्स लगाए जा रहे हैं।

इंसान ने हर एक प्राकृतिक चीज पर अपना ही अधिकार जमा के रखा है।

खेत से लेके घर तक किसी कीट या मक्खी तक को खाने या बैठने नहीं देता है।
क्या उनका प्रकृति पे कोई हक नही बनता है..??

इसमें भला काम के कीटाणु एवम पूर्ण पोषण कैसे मिलेगा.?

आपके खाने में ही पोषण की कमी है तो स्वाभाविक है कि आपके शरीर में वो कमी रहेगी ही..
ऐसे ही विटामीन-डी के लिए सजीव खाना और धूप दोनो जरुरी है।

लोग सुबह हल्की धूप में बैठते हैं, स्किन का रंग टोन बदल ना जाए इसलिए ढेर सारी क्रीम लोशन लगा के बाहर निकलते हैं।

थोड़ी सी गर्मी चालू हुई तो ए.सी. चालू कर देते है,
गर्मी के दिनो में कोई घर या ऑफिस से बाहर नहीं निकलता है। सब जगह सेल्फमेड कर्फ्यू लगा हुआ होता है।
इसमें तो विटामिन-डी मिलने से रहा..???

अब इस समस्या का समाधान कैसे करें.. ??
बी-12 की कमी होने पर इंजेक्शंस लेने की जगह थोड़े समय घर पे सोयाबीन का दूध बना के लेना चाहिए।
अंजीर और खजूर को यीस्ट के साथ पानी में दो घंटे भिगोकर लिया और स्पिरिलुना (एक प्रकार की पानी में होने वाली वनस्पति शैवाल और नोनी जूस लेना चाहिए जिससे समस्या ठीक हो जाये।

साथ में ही हमे पर्याप्त मात्रा में हरी पत्तियां सब्जियां ज्यादा मात्रा में लेना चाहिए और अंकुरित चीज़े भी रोजाना खाने में शामिल करनी चाहिए,
यही सुझाव एक व्यक्ति को दिया गया और उन्होने चालू भी किया लेकिन तीन महीनों में दो चार बार ही लिया।

बाकी स्पिरिलूना का डिब्बा और नोनी जूस भरा ही पड़ा रहा!

ऐसी स्थिति में और कमी बढ़ जाती हैं। अगर आप सही से नहीं कर पाते हैं या बहुत की कम स्तर पर पहुंच जाते हैं तो आपके पास विटामिन बी-12 और डी की दवाई या इंजेक्शन लेने के अलावा कोई चारा नहीं बचता है और ऐसी परिस्थिति में दवाई लेने में कोई हर्ज भी नहीं है।
Dr. (Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
Kankhal Hardwar aapdeepak.hdr@gmail.com
9897902760

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *