हरिद्वार। राजनीति में कब क्या हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता। बीते दिन हरिद्वार भाजपा नेता मदन कौशिक के खास माने जाने वाले नरेश शर्मा अचानक आप के हो गए। जबकि राजनीति के जानकारों को मानना है कि अगले वर्ष नरेश शर्मा आप से दूर होकर पुनः भाजप की गोद में बैठेंगे।
बता दें कि हरिद्वार के दो विधायकों के बीच अदावत काफी पुरानी है। हालांकि आवदत रखने वालों की संख्या अधिक है, किन्तु दो के बीच काफी रस्साकशी पूर्व में हो चुकी है। जानकारों को मानना है कि हरिद्वार ग्रामीण सीट से टिकट का पूर्ण आश्वासन मिलने के बाद ही नरेश शर्मा आप के हुए। जिसका सीधा सा मतलब है कि स्वामी यतीश्वरानंद को शिकस्त देना। भाजपा में रहकर नरेश शर्मा ऐसा नहीं कर सकते थे, जिस कारण गुरु का आदेश मानकर वे आप के हो गए। इसके साथ ही जानकारों का कहना है कि नरेश शर्मा जैसे एक या दो नेता और भी स्वामी यतीश्वरानदं के विरोध में चुनावी मुकाबले में सामने होंगे। जबकि स्वामी यतीश्वरानंद भी राजनीति के पक्के खिलाड़ी हैं। यदि ऐसा न होता तो सिटिंग सीएम को चुनाव में हराना कोई साधारण बात नहीं है। जहां नरेश शर्मा रणनीति के तहत आप के हुए वहीं स्वामी यतीश्वरानंद की चुनावी रणनीति की बागडोर इस बार भी हरिद्वार सांसद डा. रमेश पोखरियाल निशंक संभाल सकते हैं। जो की राजनीति के बड़े खिलाड़ी हैं। पूर्व के चुनाव में स्वामी यतीश्वरांन को जीताकर उन्होंने यह साबित भी कर दिया है। वहीं हरिद्वार ग्रामीण सीट से सपा और बसपा के किसी मुस्लिम चेहरे को मैदान में उतारने की संभावना है। ऐसे में वोटों का धु्रवीकरण होना निश्चित है। जबकि मुस्लिम समुदाय में भी स्वामी यतीश्वरानंद की अच्छी पकड़ है। ऐसे में नरेश शर्मा पर खेला गया दांव उलटा भी पड़ सकता है। जिसके बाद नरेश शर्मा के लिए भाजपा की गोद में पुनः बैठने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचेगा।

नरेश का आप में जाना तो बहाना, असली मकसद स्वामी को हराना


