स्वामी चन्द्रमोहन गिरि महाराज हुए ब्रह्मलीन, दी भू समाधि

हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के थानापति व श्री चन्द्रेश्वर महादेव मंदिर ऋषिकेश के व्यवस्थापक चन्द्रमोहन गिरि आज ब्रह्मलीन हो गए। उनके ब्रह्मलीन होने का समाचार मिलते ही अखाड़े व अन्य संतों में शोक की लहर दौड़ गई। आज उनको चण्डी द्वीप में संन्यास परम्परा के अनुसार भू समाधि दे दी गई।


थानापति चन्द्रमोहन गिरि महाराज शिष्य स्वामी विजय गिरि महाराज शुक्रवार को ऋषिकेश में ह्दयगति रूकने से ब्रह्मलीन हो गए। वे 45 वर्ष के थे। ऋषिकेश से उनकी पार्थिक देह को हरिद्वार लाकर चण्डीद्वीप में भू समाधि दी गई।
सरल स्वभाव व मिलनसार स्वामी चन्द्रमोहन गिरि महाराज के निधन को संत समाज की अपूर्णीय क्षति बताते हुए अपने संदेश में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज ने उन्हें तपस्वी संत बताया। उन्होंने कहाकि युवा संत का अचानक चले जाना संत समाज के लिए अपूर्णीय क्षति है।

ब्रह्मलीन स्वामी चन्द्रमोहन गिरि महाराज को भू समाधि देने के अवसर पर श्री महंत किशन गिरि, स्वामी अखिलेश भारती, महंत रामानंद गिरि, स्वामी किशन पुरी, स्वामी ज्ञान भारती, स्वामी सूर्यमोहन गिरि, स्वामी मनोज गिरि, स्वामी लक्ष्मीनारायण गिरि हरियाणा, महंत ओम गिरि हरियाणा, स्वामी महेश पुरी, स्वामी कृष्णांनद, स्वामी हरिनारायण गिरि, महंत विनोद गिरि ऊर्फ हनुमान बाबा समेत अखाड़े के पंच परमेश्वर व अन्य संत मौजूद रहे।

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