आध्यात्मिक मंच ‘गुरुतत्त्व’ की सालगिरह उत्साहपूर्ण वातावरण में संपन्न हुई

‘गुरुतत्त्व’ मंच के तीन साल पूर्ण होने पर गुरुकार्यरत साधकों को प्रोत्साहित किया गया

भारत के विभिन्न राज्यों से लगभग 750 गुरुकार्यरत साधक उपस्थित रहे।

 हिमालय के महर्षी शिवकृपानंद स्वामीजी से प्रेरित होकर देश-विदेश से लाखों साधक हिमालयन ध्यान में जुड़ रहे हैं। समग्र विश्व के लोगों को यह अनुभुतिप्रधान ध्यानसंस्कार प्राप्त हो इसलिए वैश्विक मंच 'गुरुतत्त्व' की स्थापना की गई। इस 'गुरुतत्त्व' की तीसरी सालगिरह के अवसर पर अहमदाबाद में भव्य समारोह आयोजित किया गया। अम्बरीशजी के नेतृत्व में वैश्विक मंच 'गुरुतत्त्व' का कार्यक्रम चैतन्यमय माहौल में संपन्न हुआ। इस अवसर पर भारत के विभिन्न राज्यों से 750 जितने साधक उपस्थित थे। कार्यक्रम का प्रारंभ युवाओं के द्वारा दिप प्रज्वलन से हुआ। ततपश्चात सामूहिकता में ध्यान किया गया। पश्चिम भारत प्रबंधक आश्विनभाई खोडीयातरजी ने कार्यक्रम के प्रारंभ में समग्र कार्यक्रम एवं 'गुरुतत्त्व' पर प्रारंभिक महिती दी। तथा उन्होंने गुरुपुत्र अम्बरीशजी द्वारा 'गुरुतत्त्व' की स्थापना किस लिए और कैसे की गई एवं 'गुरुतत्त्व' वर्तमान परिस्थितियों में किस तरह लाभदायक है यह सभी को समझाया। ऊर्जामय माहौल में तत्त्वनाद द्वारा दो नए भजन साधकों के समक्ष पहली बार प्रस्तुत करके इसका विमोचन किया गया। 

इस प्रसंग पर 'गुरुतत्त्व' वैश्विक मंच की केंद्रीय समिति के प्रत्येक विभाग प्रमुख ने अपने-अपने विषय के कार्य की महिती दी। यह वह केंद्रीय समिती है जो समर्पण ध्यानयोग संस्कार का विश्वभर के लोग सरलता से लाभ ले सके इसलिए इस कार्य को देख रही है।

शीना ओमप्रकाश ने गुरुकार्य किस तरह से करे एवं 'गुरुतत्त्व' की लाइव चेट, कॉल सेन्टर, प्रार्थनाधाम की सुविधा, नामकरण, रजिस्ट्रेशन जैसे  विषय पर मार्गदर्शन किया। सचिन भट्ट जो कि ओवरसीझ कोर्डिनेशन को संभाल रहे हैं उन्होंने  समर्पण ध्यान संस्कार का भारत के सिवा अन्य देशों में हो रहे प्रचार के बारे में बताया। 
आज 66 देशों में साधक नियमितरूप से हिमालयन ध्यानसाधना कर रहे हैं। प्रतापभाई शाह ने बताया कि आध्यात्मिकता वित्त और दान से कैसे जुड़ी है और अधिक-से-अधिक साधकों को संकल्पवर्ष में शामिल करने का सुझाव भी दिया। 
चैतन्य चौहान ने कम्युनिटी कार्ड के लॉन्च के बारे में बात की और यह भी बताया कि कैसे दान करने के कुछ ही मिनटों के भीतर ऑनलाइन रसीद उपलब्ध हो जाती है। 
 डॉ. हेमांगिनी भट्ट ने कहा कि विद्यार्थी स्कूल-कॉलेजों में प्रदर्शनी करने में अधिक रुचि रखते हैं।  
   'गुरुतत्त्व' के युवा कार्यकर्ता ऋषभ थानकी ने सोशल मीडिया में डिजाइन एवं ब्रांडिंग कैसे संभव है इसकी जानकारी दी। साथ ही, नई पीढ़ी को समर्पण ध्यान के साथ जोड़कर उनकी रुचि के विषय की ओर आकर्षित किया जा सकता है और उन्हें यह जानकारी दी जा सकती है कि गुरुतत्त्व टीम द्वारा ब्रांडिंग कैसे की जा रही है, इस पर मार्गदर्शन किया।

अंत में किरण पवार ने यूनिफॉर्मिटी की बात कही तथा नई पीढ़ी तक पहुंचने के लिए आज के समय की जरूरत को जानना जरूरी है यह बताया।


सेंटर से लेके झोन एवं समग्र विश्व तक यूनिफॉर्मिटी करने का सूचन भी दिया। इस प्रकार केंद्रीय समिति ने उपस्थित साधकों से अपनी पसंद के गुरुकार्य में शामिल होने का आह्वान किया।
दोपहर के भोजन के बाद दूसरे सत्र में भारत के विभिन्न क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ गुरुकार्य करने वालों को अंबरीशजी द्वारा प्रोत्साहित किया गया। इस अवसर पर अंबरीशजी ने ‘गुरुतत्त्व’ के तीन वर्षों के कार्य एवं गुरुकार्य की प्रगति के बारे में विस्तार से जानकारी दी। अंबरीशजी ने आश्रम, श्री गुरुशक्तिधाम, कार्यविस्तार एवं साधकों के बारे में बताया तथा साधकों के प्रश्नों का समाधान किया। किरणभाई कानाबार (राज्य प्रमुख) ने आभार विधि की।

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