हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन में संतों के दो गुटों में सुलगी विवाद की चिंगारी अब कोर्ट तक पहुंच गई है। जहां फौरी तौर पर एक गुट को थोड़ी राहत मिली है। बावजूद इसके दूसरे गुट के हौंसले अभी भी बुलंद हैं। दूसरे गुट के बुंलद हौंसलों को देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है की कुछ तो दाल में काला है।
वहीं दूसरी ओर संतों के आपसी विवाद का पटाक्षेप करने के लिए कई संत एक-दूसरे से वार्ता कर चुके हैं। जहां से सकारात्क रूख दिखाई दिया था, किन्तु कुछ लोगों के द्वारा आग में घी डालने के कारण आग फिर से धधक गई, जिस कारण से कटुता का बीज पुनः जीवंत हो उठा। इसके साथ ही एक गुट द्वारा बैंक खातों में लेनदेन बंद करवा दिए जाने के कारण अखाड़े में थोड़ा वित्तिय संकट उत्पन्न हो गया है। साथ ही खातों में लेनदेन पर रोक लगने से जो संत दूसरे गुट के प्रति थोड़ा नरम रूख अपनाए हुए थे चह भी अब विरोध में उतर आए हैं। ऐसे संतों का कहना है कि आपसी लड़ाई में साधारण साधु की रोटी बंद करना शोभनीय नहीं है।
उधर दूसरे गुट के संतों का कहना है कि विवाद कुछ भी नहीं यदि अखाड़े में असमाजिक तत्वों की आवाजाही पर रोक लग जाए और व्यवस्थाएं दुरूस्त हो जाएं तो कोई विवाद ही नहीं है। जबकि कुछ लोग ऐसे में हैं जो दोनों गुटों की बीच वार्ता होने देना ही नहीं चाहते। उनकी रणनीति यह है कि यदि दोनों गुटों के बीच वार्ता हो गई और कहीं भी सहमति बन गई तो उनका काम खराब हो जाएगा।
बहरहाल संतों का मानना है कि आज नहीं तो कल सभी को एक होना ही है। भले ही आपसी विवाद से अखाड़े की साख को धक्का लगा हो, किन्तु आने वाले समय में आग में घी डालने का काम करने वालों को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ेगा। इसके लिए अखाड़े के संत बड़ी रणनीति तैयार करने में जुटे हुए हैं। शीघ्र ही रणनीति पर अमल करना शुरू हो जाएगा।