प्रशासन मान रहा मां मंशा देवी मंदिर में हो रही लूट-खसोट, फिर भी खामोश

नारियल के ठेके, चढ़ावे की व्यवस्था को बताया दोषपूर्ण
मां वैष्णों देवी व तिरूपति की तर्ज पर हो संचालन
काबिज लोगों के पास ट्रस्ट व ट्रस्टी होने का कोई प्रमाण नहीं
वार्षिक अधिवेशन के निर्णयों की प्रति भी कब्जाधारियों के पास नहीं


हरिद्वार।
मां मंशा देवी कथित ट्रस्ट के नाम पर कैसे ऐश की जा रही है और आदेशों की धज्जियां उडाई जा रही हैं, सिटी मजिस्ट्रेट द्वारा की गई जांच के निष्कर्ष से ही इसका अनुमान लगाया जा सकता है। मंदिर पर बिना किसी हक के मंदिर पर कब्जा किया हुआ है तथा उसके चढ़ावे का भी दुरूपयोग किया जा रहा है।
शिकायत पर जांच के बाद 15 मार्च 2017 को जिलाधिकारी को प्रेषित अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट जयभारत सिंह ने लिखा है कि वर्तमान ट्रस्टी बार-बार समय देने के बाद भी ट्रस्ट होने का ऐसा कोई प्रमाण नहीं दे पाए की ट्रस्ट वैध है। कथित ट्रस्ट नियमावली के अनुसार भी कथित ट्रस्टी वार्षिक अधिवेशन व व अधिवेशन में लिए गए निर्णयों को प्रस्तुत नहीं कर पाए।


इतना ही नहीं यह भी स्पष्ट रूप से जांच में कहा गया है कि वर्तमान ट्रस्टी कब से हैं और किसके स्थान पर बने हैं, इसका भी कोई प्रमाण इनके पास मौजूद नहीं है। साथ ही नगर मजिस्ट्रेट ने मंशा देवी संचालन की व्यवस्था में दोष बताते हुए उचित कदम उठाए जाने की बात कही थी। उन्होंने मंदिर में चढ़ने वाले नारियल के ठेके पर भी सवालिया निशान लगाते हुए इसका टेंडर जारी करने की बात कही थी।

नगर मजिस्ट्रेट ने अपनी जांच में मंदिर में चढ़ने वाले चढ़ावे, अन्य व्यवस्थाओं के साथ मां मंशा देवी ट्रस्ट की व्यवस्था मां वैष्णों देवी अथवा भगवान तिरूपति बालाजी के प्रबंधन तंत्र की तर्ज पर तैयार करने की सिफारिश की थी, किन्तु आज पांच पर्ष से अधिक समय हो जाने व सब कुछ स्पष्ट हो जाने होने के बाद भी मंदिर में हो रही लूट-खसोट पर लगा लगाने की दिशा मे कोई कदम नहीं उठाया है। आखिर ऐसे क्या कारण हैं कि शासन-प्रशासन सब कुछ जानने के बाद भी भगवा की आड़ लेकर लूट मचाने वालों पर कार्यवाही करने से कतरा रहा है। जबकि उच्च न्यायालय के ओदशों का भी 12 वर्ष बीतने पर भी प्रशासन अमल नहीं करवा पा रहा है।

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