स्थानीय समिति के अल्टीमेटम के बाद बढ़ सकता है विवाद
हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के संतों के बीच चल रहे विवाद में संतों के दोनों गुटों का कुछ न हो, किन्तु इस मामले में नेताओं को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। वर्तमान में भले ही ऐसे हालात नजर न आ रहे हों, किन्तु कुछ समय बाद संतों के दोनों धड़े एक हो जाएंगे। वहीं इस मामले में निष्कासित किए गए महंत दर्शन दास महाराज द्वारा माफीनामा दिए जाने से दूसरे गुट का दावा कमजोर हुआ है। उधर सूत्र बताते हैं कि अखाड़े के खातों को भी फ्रिज कर दिया गया है।
हालांकि अखाड़े से संतों के निष्कासन के बाद मामला अब कोर्ट में पहुंच गया है। जहां निष्कासित संत प्रक्रिया हो गलत बता रहे हैं वहीं एक गुट प्रक्रिया को अखाड़े के संविधान के अनुरूप अपनाई गई प्रक्रिया करार दे रहा है। बहरहाल इस मामले में क्या होगा, इसका फैसला अब कोर्ट ही करेगा।
अखा़ड़ा सूत्र बताते हैं कि विवाद की असली वजह अखाड़े के पास बेशकीमती अकूत सम्पत्ति है। जिस पर कुछ नेताओं और भूमाफियाओं की नजर गढ़ी है। इतना सब होने के बाद भी नेताओं का अखाड़े के प्रति मोह छूटने का नाम नहीं ले रहा है। देर रात तक होने वाली बैठकें इसी ओर इशारा कर रही है। उधर निष्कासित किए गए मंहत व कोठारी को अखाड़े का स्थान खाली करने के स्थानीय संचालन समिति के संतों द्वारा अल्टीमेटम दे दिए जाने से मामला और पेचीदा हो गया है। जहां समिति के संत स्थान खाली करने का दवाब बना रहे हैं तो दूसरा गुट कमरा खाली करने के लिए राजी नहीं है। ऐसे में स्थानीय समिति यदि कोई कठोर निर्णय लेती है तो विवाद का बढ़ना तय है।
उधर विवाद को हवा देकर अपना उल्लू सीधा करने में नेता लगे हुए हैं। वहीं संतों के एक धड़े द्वारा प्रधानमंत्री, गृहमंत्री व उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर भाजपा नेताओं व भूमाफियाओें द्वारा अखाड़े के आतंरिक मामले में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाने के बाद नेताओं की मुश्किलें भी बढ़ सकती है। सूत्र बताते हैं कि लापता हुए कोठारी मंहत मोहन दास महाराज मामले की सीबीआई जाचं की मांग कर संतों ने बड़ा खेल खेला है। सूत्रों के मुताबिक अखाड़े में चर्चा है कि पूर्व में मोहन दास मामले में सीबीआई जांच को करवाने से इंकार करने वालेे मोहन दास के राजदार हो सकते हैं।


