हरिद्वार। सनातन धर्म एवं भारतीय संस्कृति को संपूर्ण विश्व में प्रसारित कर जन जन तक पहुंचाने के लिए युवा भारत साधु समाज का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार किया गया। रेलवे रोड़ स्थित श्री साधु गरीबदासीय सेवाश्रम ट्रस्ट में चेतन ज्योति आश्रम के महंत स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज की अध्यक्षता में आयोजित युवा भारत साधु समाज की बैठक में सर्वसम्मति से स्वामी आनंद गिरी महाराज को युवा भारत साधु समाज का अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने पर सभी संतों ने स्वामी आनंद गिरी महाराज को फूल माला पहनाकर आशीर्वाद दिया।
बैठक को संबोधित करते हुए महामंत्री स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि धर्म एवं संस्कृति के प्रचार प्रसार में संत महापुरुषों ने सदैव ही अग्रणी भूमिका निभाई है। युवा भारत साधु द्वारा समाज युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाकर उनमें उच्च संस्कारों को संचारित करने का कार्य किया जा रहा है। स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृकि के दुष्चक्र में फंसकर युवा पीढ़ी नशे का शिकार हो रही है। ऐसे में युवा भारत साधु समाज के युवा संत ही युवाओं को प्रेरणा देकर उनका भविष्य संवार सकते हैं। स्वामी आनंद गिरि महाराज को युवा भारत साधु समाज के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नियुक्त होने से युवा भारत साधु समाज को और बल मिलेगा। युवा भारत साधु समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत शिवानंद ने कहा कि स्वामी आनंद गिरी महाराज जैसे विद्वान संत के नेतृत्व में पूरे विश्व की युवा पीढ़ी को संस्कारवान व धर्मपरायण बनाने की युवा भारत साधु समाज की मुहिम को गति मिलेगी। युवा भारत साधु समाज के नवनियुक्त अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी आनंद गिरी महाराज ने कहा कि जो दायित्व संत समाज द्वारा उन्हें सौंपा गया है। वह उसका पूरी निष्ठा के साथ निर्वहन करते हुए दुनिया के सभी देशों में युवा भारत साधु समाज की शाखाओं का गठन कर सनातन धर्म एवं भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार कर संत परंपरा के माध्यम से युवाओं को धर्म के प्रति जागृत करेंगे। स्वामी आनंद गिरी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार के साथ देश दुनिया में जर्जर अवस्था में पड़े प्राचीन मठ मंदिरों से अवैध कब्जे हटवाकर उनके जीर्णोद्धार के लिए भी अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान सभी संतो ने महाराणा प्रताप की जयंती पर उनके चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। बैठक में महंत शिवानंद, संत जगजीत सिंह, महंत कामेश्वर पुरी, स्वामी हरिहरानंद, महंत दिनेश दास, महंत राजेंद्र दास, महंत श्रवण मुनि, महंत सुमित दास, महंत रामजी दास, महंत सुतीक्षण मुनि, स्वामी कृष्णानंद, स्वामी अनंतानंद, महंत सूरज दास सहित कई संत महंत मौजूद रहे।