महज 24 घंटे में लिख डाली रिकार्ड मैन दीपक कुमार पाण्डेय ने पुस्तक

गोवंश के गोबर की उपयोगिता पर लिखी 50 पेज की पुस्तक


हरिद्वार। दीपक कुमार पांडेय न महज 24 घंटों में एक पुस्तक लिख डाली। एक दिन में लिखी गई यह दुनियां की पहली पुस्तक है। इस पुस्तक को यूनिक वर्ल्ड रिकॉर्ड में पंजीकृत किया गया है।
गोबर और आध्यात्मिकता के पीछे के विज्ञान को दर्शाती यह पुस्तक का नाम श्री गोबर है। यह श्री गोबर पुस्तक नवंबर 2022 में प्रकाशित होकर आनलाइन उपलब्ध हो गई है।

दीपक के शब्दों में यह पुस्तक मेरी 24 घंटे की साहित्य साधना है। दीपक की आयु 37 वर्ष है। इन्हें रिकार्डमैन आफ लिटरेचर भी कहा जाता है। पिछले 10 वर्षों में इन्होंने 14 पुस्तकें लिखीं और इन्होंने अपना नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड, एशिया बुक आफ रिकार्ड तथा यूनीक वर्ल्ड रिकॉर्ड सहित 16 बार विश्व रिकार्ड पंजीकृत किया। यह उनका 16वां विश्व रिकार्ड है।

दीपक पेशे से सरकारी अभियंता हैं। 2012 से इन्हें विश्व रिकार्ड बनाने का ऐसा जुनून हुआ कि इन्होंने प्रत्येक वर्ष एक ना एक विश्व रिकार्ड पंजीकृत कर ही लिया। कोरोना महामारी में भी इन्होंने भारत के प्रधानमंत्री को दुनिया का सबसे बड़ा पत्र लिखकर एक और विश्व रिकार्ड बना लिया।

ये मुख्यतः पर्यावरण से संबंधित पुस्तकें लिखते हैं फिर भी इन्हें कविता और उपन्यास में भी महारत हासिल है। इनके द्वारा लिखी पर्यावरण की पुस्तकों को भी भारत सरकार के उपक्रम द्वारा सर्वोच्च सम्मान प्रदान किया जा चुका है।
निरंतर पढ़ना और सीखना इनकी रुचि है। इन्होंने ऐसे-ऐसे विषयों पर विश्व रिकार्ड बनाया है कि उन विषयों पर साधारण इंसान रिकार्ड बनाने की कल्पना भी नहीं कर सकता।

दीपक रिकॉर्डमैन तो बन ही चुके है, किंतु और रिकार्ड बनाने की इनकी कायम है।

दीपक कुमार पाण्डेय द्वारा रचित पुस्तकें

दीपक कुमार पाण्डेय द्वारा रचित पुस्तकें
भास, भारत गणराज्य-पद्यावली, प्रणाम महात्मा, मेरी कुछ कविताएँ, बरगदानाथ (उपन्यास ), सम्पूर्ण बरगदानाथ (उपन्यास ), तालाब कहे पुकार के (तकनीकी पुस्तक)
भारत सरकार के उपक्रम द्वारा पुरस्कृत
कचरे का विज्ञानः (तकनीकी पुस्तक) – भारत सरकार के उपक्रम द्वारा पुरस्कृत, ऋषभराजः एक नर-गोवंश की कथा, भारतीय संविधानरू एक जीवंत दस्तावेज, अनोखा पत्रः भारत के माननीय प्रधानमंत्री जी को लिखे गए पत्र का मुद्रण रूप, सिंहराज (सिंह का शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक (विश्लेषण) व सर्वेभ्यो देवेभ्यो नमः हैं।

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