हरिद्वार। फर्जी तरीके से कागजात तैयार कर धोखाधड़ी करने व षडयंत्र रचने के मामले में प्रभारी सत्र न्यायाधीश रीतेश कुमार श्रीवास्तव ने आरोपी महंत बालकनाथ की जमानत अर्जी रद्द कर दी है।
शासकीय अधिवक्ता इंद्रपाल बेदी ने बताया कि वर्ष 2019 में आरोपी महंत बालकनाथ ने अपने पिता ज्ञानचंद के साथ मिलकर फर्जी कूटरचित कागजात तैयार कर धोखाधड़ी से एक भूखण्ड का सौदा 40 लाख रुपये लेकर शिकायतकर्ता को करने का आरोप है। जिसके बाद शिकायतकर्ता को थोड़े दिनों के पता चला कि आरोपी बालकनाथ ने अपने पिता ज्ञानचंद तोमर के साथ मिलकर पहले भी इसी भूखण्ड का एक एग्रिमेंट अन्य व्यक्ति के पक्ष में किया हुआ है। यही नहीं, शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि मुख्य आरोपी बालकनाथ को उक्त आश्रम की संपत्ति बेचने का अधिकार नहीं है।
इसके बावजूद मुख्य आरोपी महंत बालकनाथ पर कई व्यकितयों से उक्त संपत्ति को बेचकर पैसे हड़पने का आरोप लगाया है। माह नवंबर 2022 में शिकायतकर्ता सन्नी कपूर ने आरोपी ज्ञानचंद तोमर पुत्र मेघराज तोमर व उसके पुत्र महंत बालकनाथ शिष्य महंत गोपालनाथ के खिलाफ फर्जी कागजात तैयार कर इस्तेमाल,धोखाधड़ी व षड्यंत्र रचने का केस दर्ज कराया था।ज्वालापुर पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
मामले की सुनवाई के बाद प्रभारी सत्र न्यायाधीश रीतेश कुमार श्रीवास्तव ने आरोपी महंत बालकनाथ की जमानत अर्जी रद्द कर दी है। इससे पूर्व आरोपी ज्ञानचंद तोमर की जमानत अर्जी भी निरस्त की जा चुकी हैं।
40 लाख रुपये में किया था सौदा
शिकायतकर्ता सन्नी कपूर ने पुलिस को बताया कि आरोपी महंत बालकनाथ व उसके पिता ज्ञानचंद तोमर पर अपने साथियों के साथ मिलकर एक भूखण्ड आर्यनगर चोक पूर्व में शिवसेना ऑफिस ज्वालापुर का सौदा 40 लाख रुपये लेकर किया था।
मुख्य आरोपी पर वसीयत में छेड़छाड़ करने का आरोप
शिकायतकर्ता ने अपनी तहरीर में मुख्यारोपी महंत बालकनाथ पर आरोप लगाते हुए बताया कि महंत बालकनाथ जिस वसीयत के आधार पर खुद को उक्त संपत्ति का स्वामी बताया है,उस वसीयत में भी कूटरचना की गई थी। यही नहीं, पूर्व वसीयत में आरोपी बालकनाथ को केवल संपत्ति के प्रबंधन का अधिकार प्राप्त था।