शासनादेश जारी होने के बाद भी वापस नहीं हुए कोविड कर्फ्यू उल्लघंन में दर्ज मुकदमे

लापरवाह नौकरशाहों की गलती का खामियाजा भुगत रही जनता


हरिद्वार।
राज्य में लापरवाह नौकरशाही का आलम यह है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री की ओर से कई बार लॉकडाउन के दौरान दर्ज मुकदमें को वापस लेने की घोषणा के कई महीनें बाद भी बड़ी संख्या व्यापारी, सामाजिक कार्यकर्ता सहित अन्य लोग मुकदमा झेलने को मजबूर हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत नें वर्ष 2021 में कोविड कर्फ्यू के उल्लघंन के बावत दर्ज करीब 43 हजार मुकदमें को वापस लेने की कई बार घोषणा की। हलांकि इस सम्बन्ध में उत्तराखण्ड गृह विभाग की ओर से आदेश भी जारी हुये, लेकिन शाासनादेश में त्रुटि के कारण बडी संख्या में लोग मुकदमा झेल रहे हैं। जबकि पड़ोसी उत्तर प्रदेश में जहां लाखों की संख्या में आपदा के दौरान दर्ज मुकदमा वापस लेने के मुख्यमंत्री की घोषणा के फौरन बाद सभी मुकदमें वापस ले लिये गये। अब आखिरकार लॉकडाउन की अवधि में व्यापारियों पर दर्ज मुकदमों की वापसी ना होने पर भेल व्यापार मंडल का एक प्रतिनिधिमंडल पूर्व विधायक संजय गुप्ता के कनखल स्थित निवास पर मिला और उन्हे मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा।


ज्ञापन में कहा कि पूरे राज्य में लॉकडाउन की अवधि में आपदा प्रबंधन अधिनियम एवं महामारी अधिनियम के अंतर्गत दर्ज सभी मुकदमों की वापसी का तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की कैबिनेट में निर्णय लिया गया था, और आदेश 16 मार्च 2021 सचिव गृह द्वारा दिए थे। परंतु इसका लाभ पूरे प्रदेश में किसी को भी नहीं मिल सका। उसके पश्चात आदेश का अनुपालन ना होने की दशा में अपर सचिव द्वारा पुनः 24 जून 2021 समस्त जिला अधिकारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक निदेशक अभियोजन एवं पुलिस महानिदेशक को आदेश भेज कर अनुपालन की कार्यवाही करने के निर्देश दिए थे, परंतु इस आदेश से भी एक भी व्यापारी लाभान्वित नहीं हुआ। और उन पर मुकदमा कायम रहे तथा न्यायालय से सम्मन में भी प्राप्त होने लगे। वहीं किसी भी व्यापारी संगठन ने कोई आवाज व्यापरियों के लिए नहीं उठाई। गौरतलब है कि कि पूरे प्रदेश में लगभग 43000 आपदा प्रबंधन व महामारी अधिनियाम के अंतर्गत मुकदमे दर्ज हुए थे।

अकेले हरिद्वार में ही 970 से अधिक मुकदमे लोगों पर दर्ज हुए, जिसमें से सरकार की हीलाहवाली और नौकरशाहों की गलती का खामियाजा लगभग 165 लोगों को कोर्ट मंे अपना अपराध स्वीकार जुर्माना भरकर भुगतना पड़ा। अभी भी हरिद्वार मे 700 के करीब मुकदमे कोर्ट में विचाराधीन है।
व्यापार मंडल के प्रतिनिधियों ने बताया की शासन द्वारा जारी आदेश में तकनीकी कमी होने के कारण कोर्ट ने उसे नहीं माना यह जानकारी उन्हें संयुक्त निदेशक अभियोजन हरिद्वार ने मिलने पर दी है। उन्होंने बताया कि आईपीसी 188 का आदेश मंे कहीं जिक्र नहीं है। लेकिन प्रशासनिक स्तर पर किसी भी जिले से गृह विभाग को यह जानकारी क्यों नहीं दी गई? पूर्व विधायक लक्सर संजय गुप्ता ने उपस्थित व्यापारियों को आश्वस्त किया कि दर्ज मुकदमें वापस होंगे। मौके पर से उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर वार्ता कर संशोधित आदेश शीघ्र जारी करने का अनुरोध भी किया। ज्ञापन देने भेल व्यापार मंडल के अध्यक्ष मुकेश चौहान, सचिव डा. हिमांशु द्विवेदी, विक्रांत आहूजा एवं विजय कुमार बंसल मौजूद थे।

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