पल भर में निष्कासन और पल भर में माफी

दोनों घटनाओं के पीछे छिपे हैं गहरे राज!
हरिद्वार।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि व उनके शिष्य आनन्द गिरि के बीच उपजे विवाद का माफीनामे के बाद पटाक्षेप हो गया है। बावजूद इसके लोगों में यह चर्चा आम है कि पल भर में निष्कासन और उसके बाद चले आरोप-प्रत्यारोप के बाद सुलह होना किसी बड़े राज की ओर इशारा करता है। वहीं अखाड़ा सूत्रों के मुताबिक आनन्द गिरि को उनके गुरु ने माफ किया है। जबकि उनका निष्कासन अभी रद्द नहीं हुआ है। निष्कासन पर अखाड़े के पंच ही फैसला लेंगे। इस कारण से आनन्द गिरि अभी भी अखाड़े में प्रवेश नहीं कर सकते।
अखाड़ा सूत्रों की माने तो निष्कासन के बाद चेला आनन्द गिरि ने अपने गुरु पर जो आरोप लगाए थे वह संगीन हैं। ऐसे में दो दिन में पत्र आना, उसकी जांच होना और निष्कासन कर दिया जाना भी किसी षडयंत्र का हिस्सा था। उसके बाद दो सप्ताह तक आरोप-प्रत्यारोप के बाद अचानक माफीनामा आना और आरोपों को वापस लेना तथा गुरु का एकदम माफ कर देना किसी बड़ी रणनीति का हिस्सा हो सकता है। सूत्रों की माने तो जो आरोप आनन्द गिरि ने लगाए थे और प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को जो पत्र भेजे थे उन पर जांच की कार्यवाही अमल में लाना शुरू हो गया है। वही अखाड़े के संत भी गुरु-चेले के इस दंगल से हैरान व परेशान हैं। अखाड़े की हुई बदनामी से उनमें भी खासा रोष है। इन सबको देखते हुए किसी पर किसी प्रकार की कोई आंच न आए माफीनामे का खेल रचा गया।

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