हरिद्वार। ज्योतिष पीठ पर स्वामी अविमुक्तेश्वरांनद सरस्वती के स्वंय को शंकराचार्य घोषित करने के बाद विवाद गहराता चला जा रहा है। जिसके चलते मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा हुआ है। वहीं कुछ ऐसे भी भगवाधारी हैं जो योग्यता ना होने के बाद भी ज्योतिष पीठ का शंकराचार्य बनने का ख्वाब मन में पाले हुए हैं। इसके लिए वे सभी प्रकार की तिगड़म, सिफारिश का इस्तेमाल करने के साथ पैसों का भी लालच दे चुके हैं। बावजूद इसके कानून के आगे उनके सभी सपने चकनाचूर होते दिखाई दे रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक ऐसे लोगों पर शीघ्र की कानून का शिकंजा कस सकता है।
बता दें कि ज्योतिष पीठ पर स्वंय को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा शंकराचार्य घोषित करने के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है। जिसके संबंध में 17 नवम्बर को पुनः सुनवाई होनी है। वहीं स्वामी अविमुक्तेश्वरांनद सरस्वती के समर्थन वाले काशी विद्वत परिषद के लेटर पैड पर समर्थन पत्र जारी किए जाने के बाद मामला और गंभीर हो चुका है। काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी ने इसे सिरे से नकारते हुए फर्जी करार दिया है। मामला यूपी के मुख्यंमंत्री योगी आदित्यनाथ के सज्ञान में भी आ चुका है। सोमवार को फर्जी लेटर पैड़ पर जारी किए गए समर्थन पत्र के मामले में काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी मुकद्मा दर्ज कराने वाले हैं। साथ ही सूत्र बताते हैं कि वाराणसी पुलिस उन व्यक्तियों के खिलाफ भी कार्यवाही करने जा रही है जिनको इस पत्र के जारी होने से लाभ होने वाला था।
उधर सूत्रों के मुताबिक हरिद्वार के शंकराचार्य बनने वाले इच्छुक संत द्वारा शंकराचार्य बनने के लिए साम, दाम, दंड व भेद का प्रयोग किया गया। सूत्र बताते हैं कि एक भगवाधारी को शंकराचार्य बनाने का समर्थन करने के लिए हरिद्वार से तीन संतों की सिफारिश गई। साथ ही एक मध्यस्थ को मोटी रकम दिए जाने का भी लालच दिया गया। बावजूद इसके उनकी दाल नहीं गली। बावजूद इसके हरिद्वार के संत के मन में शंकराचार्य बनने की लालसा जोर मार रही है, किन्तु यूपी सरकार और काशी विद्वत परिषद द्वारा इस मामले मंे कानूनी कार्यवाही किए जाने की तैयारी के चलते संत के सपने चकनाचूर होते नजर आ रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि स्वामी अविमुक्तेश्वरांनद सरस्वती के समर्थन वाले फर्जी पत्र से किस-किस को फायदा होने वाला था उन पर भी कार्यवाही की जाएगी। पद के लिए पैसों की लालच देने वाले में भी इस जांच के दायरे में आ सकते हैं। ऐसे में शंकराचार्य बनने की लालसा पाले भगवाधारी की मुसीबतें कभी भी बढ़ सकती हैं।


