हरिद्वार। योग निद्रा से भगवान श्रीहरि निद्रा केे जागने के दिन को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। हिन्दू धर्म में देवउठनी एकादशी से मांगलिक कार्य, विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश आदि आरम्भ हो जाते हैं। इसके साथ ही चार मास से चला आ रहा चातुर्मास भी समाप्त हो जाएगा। भगवान विष्णु पाताल से वापस आकर सृष्टि की सत्ता का पुनः संचालन करेगे। साथ ही चार मास से सृष्टि की सत्ता का संचालन कर रहे भगवान शिव पुनः भगवान विष्णु को सत्ता का संचालन सौंप देंगे।
यूं तो प्रति माह 2 और साल में कुल 24 एकादशियों के व्रत आते हैं। इसमें देवउठनी एकादशी को सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण एकादशी माना गया है। क्योंकि देवउठनी एकादशी से ही सनातन धर्म में सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। इस वर्ष देवउठनी एकादशी 4 नवंबर को है और इस दिन भगवान विष्णु निद्रा से उठकर सृष्टि का कार्यभार संभालेंगे।
हिन्दू पंचांग के अनुसार 3 नवंबर को शाम 7 बजकर 30 मिनट पर एकादशी तिथि प्रारंभ होगी और 4 नवंबर को शाम 6 बजकर 8 मिनट पर एकादशी तिथि का समापन होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार 4 नवंबर को देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
देवउठनी एकादशी पर शाम के समय भगवान विष्णु को मांगलिक गीत गाकर निद्रा से उठाया जाता है। घर की महिलाएं आंगन में चूना व गेरू से रंगोली बनाती हैं। फिर गन्ने से मंडप बनाकर भगवान विष्णु के शालीग्राम स्वरूप का पूजन किया जाता हैं। इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही तुलसी विवाह का भी विधि-विधान से पूजन किया जाता है।


