मनुष्यों की जैविक घड़ी में हो रही गड़बड़ीः प्रो.विनोद

सोने-जागने का मोबाइल, टीवी कम्प्यूटर ने तोड़ा प्राकृतिक क्रम, बीमारियां बढ़ी
हरिद्वार।
डीपीएस फेरूपुर में इन्डियन नेशनल साइन्स एकेडमी, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित लेक्चर सीरीज के अन्तर्गत व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस व्याख्यान माला द्वारा छात्र-छात्राओं में विज्ञान के प्रति अभिरुचि पैदा करना है, ताकि देश को श्रेष्ठ वैज्ञानिक मिल सके। एकेडमी के फैलो व दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय स्तर के व्यवहार व पक्षी विज्ञानी प्रो. विनोद कुमार ने बताया कि कौवे के मस्तिष्क में ऐसे केन्द्र हैं जिससे वह अपने को पहचानता है। बच्चों को जन्तु जगत की अनेक प्रजातियों के व्यवहार का अध्ययन करना बहुत रुचिकर होगा और इससे बच्चों की विज्ञान के प्रति रुझान पैदा होगा।
उन्होंने कहाकि विश्व को वैज्ञानिकों ने विद्युत बल्ब, ट्यूब लाइट प्रदान किया, जिससे पूरा विश्व जगमगाता है, किन्तु इस लाइट के आविष्कार ने मनुष्य को देर रात तक, कम्प्यूटर, मोबाइल व टीवी देखते का शौक की पैदा कर दिया जिससे मनुष्यांे में अनेक बिमारियां होने लगी, क्योंकि दिन व रात के साथ सोने-जागने का प्राकृतिक क्रम टूट गया।


प्रकृति में सभी पशु-पक्षी रात होते ही सोने लगते हैं और प्रातःकाल सूर्योदय के साथ उठते हैं। इस तरह सेरेटोनिन व मैलाटोनिन हार्मोन, जो जागने व सोने के कारक है, रात-दिन के लय के साथ ही स्रावित होते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा निति में परिवर्तन होता चाहिये और छोटे बच्चों को भरपूर नींद लेनी चाहिए। उनका स्कूल का समय 9 बजे बाद चाहिये। किन्तु स्कूल 7 बजे शुरू होते हैं, उसके कारण और बच्चो व माता-पिता देर रात तक जागने से नीद पूरी नहीं होती। जिससे बच्चों में चिड़चिड़ापन, डायबिटीज, डिप्रेशन व पढ़ाई के प्रति अरुचि पैदा होती है। वयस्कों में देर रात जगने से चिड़चिड़ापन, यारेटीज, हायपरटेन्शन, अवसाद, क्रोध, दिल व सांस की बीमारी उत्पन्न होने लगती है।


उन्होंने कहा कि ब्लड प्रेशर सुबह, शाम व रात में बदलता रहता है। अत। दवाई शुरू करने से पहले रात में बीपी का औसत लेकर बीपी में घटे या बढ़े होने का निर्धारण किया जाना चाहिए। प्रो. विनोद कुमार बताया कि बच्चों के लिये पूरी प्रकृति प्रयोगशाला है, जहां नित नये अनुभव लिये जा सकते हैं व प्रयोग किये जा सकते हैं।
प्रो. राजेन्द्र अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी प्रो. दिनेश भट्ट, हरिद्वार एजुकेशन सोसाइटी के सचिव अशोक त्रिपाठी, डीपीएस मैनेजमेन्ट बोर्ड के सदस्य महेश त्रिपाठी, मुख्यअध्यापिका शिवानी भास्कर, शिक्षक व छात्र-छात्राए उपस्थित रहे।

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