हरिद्वार। बीते दिनों निरंजनी अखाड़े के साधु स्वामी रामानंद गिरि की रामकृष्ण मिशन चिकित्सालय में हुई मौत के बाद उनका दाह संस्कार कनखल शमशान घाट में लावारिस की भांति कर दिया गया था।
बताते हैं कि कुंभ के दौरान किसी बात का विरोध करने पर कुछ संतों ने स्वामी रामानंद की जमकर पिटाई की थी। उसके बाद उन्होंने संन्यास मार्ग स्थित एक आश्रम में शरण ली। वहां कुछ दिन रहने के बाद दूसरे आश्रम में उन्हें शरण लेनी पड़ी। जहां उनकी तबियत खराब होने पर वे स्वंय रामकृष्ण मिशन चिकित्सालय में जाकर भर्ती हो गए। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गयी। मृत्यु के बाद संन्यास परम्परा के विपरीत उनका लावारिस की भांति दाह संस्कार कर दिया गया। उनके अंतिम संस्कार के लिए भी एक संत ने धन दिया। स्वामी रामानंद की मृत्यु को समाचार मिलने के बाद भी उनका अंतिम संस्कार करने के लिए कोई नहीं आया। मृत्यु के अगले दिन दो संत संन्यास मार्ग स्थित उस आश्रम में पहुंचे जहां स्वामी रामानंद ठहरे हुए थे। वहां जाकर उन्होंने उनके सामान की पड़ताल की। जहां संतों को उनका एक झोला मिला। बताया जाता है कि उसमें दो सौ रुपये और कुछ कागजात थे। जिन्हें लेकर वे चले गए। संतों में इस बात की चर्चा है कि जीते हुए तो पीटकर बाहर निकाल दिया और अस्पताल में भी कोई पूछने नहीं आया, किन्तु मृत्यु के बाद माल समेटने के लिए आना वाकई हैरान करने वाला है।

भगवे के अजब रंग, पहले पीटकर बाहर निकाला, मरने के बाद माल कब्जाया


