शंकराचार्य पीठों पर कांग्रेस के इशारे पर हुआ बड़ा घालमेलः धर्मदत्त महाराज

सुबुधानंद को बताया कांग्रेसी नेता, कांग्रेस से धन मिलने का लगाया आरोप
हरिद्वार।
विश्व गुरु भारत परिषद के अन्तर्राष्टीªय अध्यक्ष राजगुरु धर्म दत्त महाराज ने कहाकि धर्म से निरपेक्ष कांग्रेसी शंकराचार्यो का उदय हुआ है। शंकराचार्य जैसे प्रतिष्ठित व सनातन के सर्वोच्च पद पर किसी की घोषणा गलत है। घोषणा किसी धर्माचार्य को करनी चाहिए थी, ना की किसी राजनेता को। उन्होंने कहाकि शंकराचार्य की नियुक्ति धर्म का विषय है ना की राजनीति का। उन्होंने द्वारका-शारदा पीठ व ज्योतिष पीठ पर हुई श्ंाकराचार्यों की नियुक्ति को धर्म के खिलाफ बताया।


शंकराचार्य की दोनों पीठों शारदा-द्वारका व ज्योतिष पीठ पर स्वामी सदानंद सरस्वती व स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज के नामों की घोषणा पर धर्मदत्त महाराज ने कहाकि शंकराचार्य के नामों की घोषणा करने वाले सुबुधानंद महाराज मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार में केबिनेट मंत्री थे और शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के वेतन भोगी कर्मी थे। ऐसे में एक विद्वान की बजाय नेता द्वारा घोषणा करना सनातन का परिहास है। उन्होंने कहाकि दोनों पदों पर की गई घोषणा में बड़ा घालमेल हुआ है। उन्होंने कहाकि सुबुधानंद को छत्तीसगढ़ सरकार का समर्थन प्राप्त है और वहां से उन्हें धन भी प्राप्त हो रहा है। ऐसे में शंकराचार्य की दोनों पीठों के लिए की गई घोषणा किसी बड़े षडयंत्र की ओर इशारा कर रही हैं।

बड़ा आरोप लगाते हुए धर्म दत्त महाराज ने कहाकि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद महाराज ने कोई वसीयत नहीं की और ना ही किसी को उत्तराधिकारी घोषित किया, फिर किस आधार पर उत्तराधिकारी की घोषणा की गई। उन्होंने कहाकि कांग्रेसी नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने सब सेंटिंग की है। उन्होंने कहाकि यदि घोषणा करनी थी तो किसी विद्वान व्यक्ति के द्वारा घोषणा की जानी चाहिए थी। कहाकि यह विषय राजनीति का नहीं धर्म का है। ऐसे में राजनैतिक व्यक्ति को शंकराचार्य जैसे पद पर किसी व्यक्ति की घोषणा करने का अधिकार नहीं है।


कहाकि शंकराचार्य पद सनातन का सर्वोच्च पद है, वहां विद्वान व्यक्ति की नियुक्ति होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि संत का कार्य सत्य का समर्थन करना होता है, जो मैं कर रहा हूं और करता रहूंगा। उन्होंने कहाकि शंकराचार्य का प्रतिष्ठित पद पर उत्तराधिकारी वसीयत के आधार पर नहीं विद्वता के आधार पर होना चाहिए। उन्होंने कहाकि इस मामले में केन्द्र सरकार को विपक्ष का साथ लेकर धर्म के सापेक्ष कार्य करना चाहिए। जिससे की सनातन धर्म की मर्यादा कायम रहे।

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