हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के श्री महंत नरेन्द्र गिरि के कोरोना संक्रमित होने के बाद से लगातार कोरोना संक्रमितों की संख्या अखाड़े में जहां बढ़ती गयी वहीं कोरोना से होने वाली मौतों का आंकडा भी बढ़ता ही जा रहा है। अभी तक निरंजनी अखाड़े के पांच संत कोरोना के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह कि इन मौतों का जिम्मेदार कौन है, मेला प्रशासन की लापरवाही या फिर अखाड़े का गैर जिम्मेदाराना रैवय्या।
बता दें कि अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेन्द्र गिरि के बीमार होने पर उन्हें चिकित्सालय में भर्ती करवाया गया था। जहां उनकी जांच में वे कोरोना संक्रमित पाए गए थे। रिपोर्ट आने से कुछ की समय पूर्व मेला प्रशासन के बड़े अधिकारियों, नेताओ ंव संतों ने उनसे मुलाकात की थी। इतना ही नहीं बीमार होने से पूर्व वे लगातार संतों व अधिकारियों के सम्पर्क में रहे। कुछ संत तो ऐसे थे, जिनके सम्पर्क में वे लगातार रहे। ऐसे में उनकी कोरोना रिपोर्ट पाॅजिटिव आने के बाद भी मेला प्रशासन के लोग व संत उनके सम्पर्क में आए थे, न तो उनकी जांच करायी गयी और न ही उन्हें आईसोलेट किया गया। इतना होने के बाद भी सम्पर्क में आए संत खुले आम घुमते रहे। जिसके बाद कुछ और संत कोरोना संक्रमित पाए गए। इतना ही नहीं कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद भी कुछ संतों ने कुंभ का शाही स्नान किया। जबकि आम आदमी, जो कोरोना संक्रमित के सम्पर्क में आया हो प्रशासन उसका बुरा हाल कर देता है। तमाम तरह की उस पर बंदिशें लगा देता है, किन्तु यंहा ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला। प्रशासन ने सम्पर्क में आए लोगों को आईसोलेट करने तक की जहमत नहीं उठायी। जिसका परिणाम यह रहा कि निरंजनी अखाड़े के पांच संतों को अपनी असमय जान गंवानी पड़ी। यदि समय रहते प्रशासन नरेन्द्र गिरि के सम्पर्क में आने वालों के साथ एहतियातन कुछ कड़े कदम उठाता और शाही स्नान करने से रोक देता तो हो सकता था कि पांच संतों को अपनी जान न गंवानी पड़ती।

निरंजनी अखाड़े में हो रही संतों की मौत का जिम्मेदार कौन, मेला प्रशासन या अखाड़े का रैवय्या


