भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की ने जल संबंधित मुद्दों पर एक वर्चुअल वर्कशॉप आयोजित किया। वर्कशॉप का उद्देश्य इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में समाज की बेहतरी के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी जानकारी के अनुप्रयोग में सुधार लाना था। वर्कशॉप में जल से संबंधित मुद्दों, समस्याओं और परियोजनाओं की पहचान और इस दिशा में गहन अनुसंधान करने के लिए विभिन्न संस्थानों के बीच के बीच तालमेल स्थापित करने की नींव रखी गई। इस वर्चुअल वर्कशॉप की अध्यक्षता आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत के चतुर्वेदी और आईआईटी रुड़की के हाइड्रो एंड रिन्यूएबल एनर्जी विभाग के प्रोफेसर अरुण कुमार ने की।
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत चतुर्वेदी ने कहाकि व्यावहारिक समस्याओं को सुलझाने के लिए अनुसंधान संस्थानों और फ्रंटलाइन पर काम करने वाली एजेंसियों के साझेदारी की आवश्यकता होती है। हम सार्थक परियोजनाओं को तैयार करने और उसे जमीनी स्तर पर निष्पादित करने की उम्मीद करते हैं।
वर्कशॉप में चार पैनल चर्चाएं शामिल रही, जिसमें सिंचाई, जलाशय, जल संसाधन मूल्यांकन, सिंचाई दक्षता, नदी प्रशिक्षण, बाढ़ सुरक्षा, नदी आकृति विज्ञान, अवसादन जैसे कई अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई।
वर्कशॉप में आमंत्रित संगठनों में उत्तराखंड के संस्थान वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, आईसीएआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सॉइल एंड वाटर कंजर्वेशन, इरिगेशन रिसर्च इंस्टीट्यूट, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, इंडियन काउंसिल ऑफ फॉरेस्टरी रिसर्च एंड एजुकेशन, गोविंद बल्लभ पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, एचएनबी गढ़वाल यूनिवर्सिटी, कुमाऊं यूनिवर्सिटी, जीबी पंत इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायरनमेंट एमओईएफ एंड सीसी, स्टेट रिमोट सेंसिंग सेंटर और उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के उपयोगकर्ता विभाग जैसे स्टेट इरिगेशन डिपार्टमेंट, पेयजल, जल निगम, पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट, रूरल वॉटर सप्लाई एंड सेनिटेशन, ग्राउंडवॉटर, फॉरेस्ट, पावर, जल निगम, टूरिजम, इंडस्ट्रियल एंड ब्रिज कॉर्पोरेशन, स्टेट पॉल्यूशन बोर्ड, स्टेट डायजेस्टर मैनेजमेंट एजेंसी, वॉटरशेड डायरेक्टोरिज शामिल थे।
आईआईटी रुड़की के हाइड्रो एंड रिन्यूएबल एनर्जी विभाग के प्रोफेसर अरुण कुमार ने कहाकि जल उपयोग दक्षता में सुधार, रिसाव को कम करने, जल संसाधनों को रिचार्ज करने जैसे माध्यम से पानी की आपूर्ति में सुधार लाना वर्तमान समय की मांग और जल संबंधित समस्याओं का समाधान है। यह पहल हमारी विशेषज्ञता का लाभ उठाने और पानी पर संवाद को समृद्ध करने की हमारी प्रतिबद्धता के अनुरूप है।
कहाकि भारत में जल संकट का प्रमुख कारक जल और औद्योगिक कचरे के अनुचित प्रबंधन और संसाधनों का विवेकहीन आवंटन है। वर्ष 2050 तक भारत की जनसंख्या 1.6 बिलियन पहुंच जाएगी और आने वाले वर्षों में जल संसाधनों पर दबाव बढ़ेगा।