बदरीनाथ धाम को उसके दिव्य एवं भव्य स्वरूप में निखारने के लिए मंदिर की सुरक्षा पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा। धाम की महायोजना तैयार करने के दौरान मंदिर के दाहिनी ओर की दीवार पर हल्की दरार दिखी है। पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर के मुताबिक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) इसका उपचार करेगा। इसके लिए एएसआई ने 5 करोड़ का इस्टिमेट तैयार किया है। उन्होंने यह भी बताया कि मंदिर के पीछे स्थित ग्लेशियर से सुरक्षा के लिए दीवार का निर्माण कराया जाएगा।
केदारनाथ का पुनर्निर्माण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है। इस समय केदारपुरी कलेवर में निखर चुकी है। प्रधानमंत्री के निर्देश पर ही राज्य सरकार ने केदारनाथ की भांति बदरीनाथ धाम को विकसित करने के लिए महायोजना तैयार की है। प्रधानमंत्री कार्यालय में इसका प्रस्तुतीकरण होने के पुनर्निर्माण कार्यों की शुरुआत की गई। हालांकि, वर्षा के कारण कार्यों की गति कुछ धीमी पड़ी है।
पर्यटन सचिव ने बताया कि प्रथम चरण के कार्यों के लिए भूमि का अधिग्रहण हो चुका है। जबकि द्वितीय चरण में मंदिर के आसपास की भूमि का अधिग्रहण किया जाना है।
जावलकर के मुताबिक, धाम की महायोजना में मंदिर को सुरक्षित करने पर विशेष जोर दिया गया है। मंदिर के दाहिनी की ओर की दीवार में हल्की दरार नजर आने पर इसके उपचार के संबंध में एएसआई से अनुरोध किया गया। मॉनसून के बाद वह उपचारात्मक कार्य शुरू करेगा। उन्होंने बताया कि मंदिर के ठीक पीछे ग्लेशियर है। इससे मंदिर की सुरक्षा के मद्देनजर उपचारात्मक कार्यों के बारे में सुझाव लेने के लिए केंद्र सरकार की संस्था डीजीआई को कंसल्टेंट का जिम्मा सौंपा गया है। संस्था ने सुझाव दिया है कि ग्लेशियर से सुरक्षा के लिए दीवार का निर्माण कराना आवश्यक है। यह दीवार किस तरह से बनेगी, जल्द ही इसका डिजाइन तैयार कराकर कार्य शुरू कराया जाएगा।