हरिद्वार/देहरादून। देवों की भूमि उत्तराखंड अब जेहादियों की शरण स्थली बनती जा रही है। इस विकट स्थिति पर प्रदेश सरकार, जनप्रतिनिधि व पुलिस ना जाने क्यों उदासीन बैठी है। साथ ही भगवाधारण कर अपहरण, बलात्कार जैसे संगीन आरोपों में में घिरे संत कों की भी जांच की मांग की। उक्त बातें हिन्दू रक्षा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानांद व बाबा बलराम दास हठयोगी ने एक प्रेस वार्ता में कहीं।
देहरादून में प्रेस वार्ता कर स्वामी प्रबोधानंद गिरि ने कहा कि उत्तराखंड जिसे देवों की भूमि कहा जाता है और जिसकी पहचान व संस्कृति पूरे विश्व में पहचानी जाती है, आज उसी प्रदेश को जेहादियों ने अपनी शरणस्थली बना दिया है। उन्होंने पूर्व में हुई मोरी (उत्तरकाशी) व वर्तमान में हल्द्वानी के वनभूलपुरा मंेे हुई हिंसा की दो बड़ी घटनाओं का जिक्र करते हुए प्रदेश सरकार व पुलिस प्रशासन के उदासीन रवैय्ये को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि यदि सरकार इतनी गंभीर है तो इस तरह की घटनाएं प्रदेश में बार-बार क्यों दोहराई जा रही है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार एक जेहादी हैदराबाद से उत्तराखंड आकर वनभूलपुरा हिंसा के आरोपियों को रुपए बांटकर चला जाता है और शासन-प्रशासन को भनक तक नहीं लगती। ये सब सरकार व प्रशासन के खुफिया तंत्र की नाकामी नहीं तो क्या है।
उन्होंने जेहादियों द्वारा देवभूमि में किए जा रहे अनैतिक कर्तव्यांे व इस तरह की घटनाओं के लिए प्रदेश के जनप्रतिनिधियों को भी दोषी ठहराया। उन्होंने कहा कि कारोबारी के भेष में जेहादी बनकर आए कोई बाहरी व्यक्ति प्रदेश की बहन-बेटियों से खिलवाड़ कर जाए, हिंसा फैलाए व देवभूमि की संस्कृति व भावनाओं को क्षति पहुंचाए इसके लिए जितना पुलिस प्रशासन जिम्मेदार है, उतने ही हमारे जनप्रतिनिधि भी। उन्होंने कहा कि ऐसे में संत समाज जेहादियों को उनके मंसूबों में सफल नहीं होने देगा और उनके इन कृत्यों के लिए कठोर दंड की मांग करते है।
वहीं बाबा बलराम दास हठयोगी ने कहा कि आज हमारे संत समाज के बीच भी कुछ तथाकथित लोग घुस आए हैं, जो किसी ना किसी अपराधिक प्रवृत्ति में लिप्त हैं। उन्होंने कहा कि हमने अखाड़ा परिषद से ये मांग की है कि ऐसे लोगों का सत्यापन कराया जाए, जिससे कि ऐसे लोगों की पहचान हो सके, जो संत के चोले में अपहरण, बलात्कार व अन्य गंभीर अपराधिक मामलों में लिप्त या आरोपी है।