दिव्य आध्यात्मिक समारोहः विवाद के लिए दूसरे के कंधे का किया इस्तेमाल

हरिद्वार। जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज के आचार्य पीठ पर पदस्थापना के 25 वर्ष पूर्व होने के अवसर पर आयोजित दिव्य आध्यात्मिक समारोह भले की सम्पन्न हो गया हो, किन्तु उस सत्संग से प्रकटी ज्वाला अभी भी शांत नहीं हुई है। अभी भी कुछ संतों में आयोजन में न बुलाए जाने का मलाल है, जिसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं की जा रही हैं।


कुछ संतों में समारोह में न बुलाए जाने का मलाल है तो कुछ को जाने के बाद लताड़ खानी। सूत्र बताते हैं कि लताड़ खाने के साथ संत को अपने लिए और भी खतरा उत्पन्न हो गया, जिससे घबराए संत ने अपने गुरु की शरण ली। शिष्य की व्यथा सुनने के बाद गुरु मामले को निपटाने के लिए लताड़ लगाने वालों की शरण में पहुंचा और अनुनय विनय करने के बाद फिलहाल के लिए मामले को शांत किया।


सूत्र बताते हैं कि इस विवाद को बढ़ाने के लिए दूर बैठे एक संत (जिसे संतों की केकई भी कहा जाता है) ने हवा दी और एक संत ऐसा था जिसने हरिद्वार आकर आग में घी डालने का काम किया और आग भड़कता देख खुद रफुचक्कर हो गया। सूत्र बताते हैं कि समारोह में बुलाने या न बुलाने के संबंध में कोई विवाद नहीं था। एक विशेष भगवाधारी ने अपना उल्लू सीधा करने के लिए इस विवाद को दूसरे के कंधे पर हथियार रख हवा दी। सूत्रों का कहना है कि आमंत्रण को लेकर बेकार का विवाद खड़ा किया गया। उनका कहना था कि यदि विवाद खड़ा ही करना था तो उस बात को लेकर विरोध किया जाना चाहिए था कि वरिष्ठ संतों और नेताओं के बीच में अपराधिक किस्म के लोग विराजमान थे। जिससे समाज में एक संदेश जाता और समाज में व्याप्त गंदगी को कुछ कम करने की दिशा में मदद मिलती।

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