तीन लोक से न्यारी भगवान विश्वनाथ की नगरी काशी में आज से संस्कृति संसद का शुभारम्भ हो गया है। समारोह का शुभारम्भ मां गंगा की पूजा-अर्चना व स्वस्तिवाचन के साथ हुआ।
गुरुवार की सुबह समारोह में पधारे सभी संत रविदास घाट पर पहुचें, जहां से सभी संत बजड़े के माध्यम से गंगा द्वार पर पहुंचें। इसके बाद उनके द्वारा गंगा पूजन किया। गंगा पूजन के पश्चात श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की ओर से संतों का स्वागत किया गया। संस्कृति संसद के प्रथम दिन आज श्रीकाशी विश्वनाथ में देशभर से पधारे संतों ने रुद्राभिषेक किया। इसके साथ ही अनुष्ठान के तीन संकल्पों में प्रथम संकल्प श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के बलिदानियों की मुक्ति हो, दूसरा संकल्प राष्ट्र की एकता और अखंडता अक्षुण्ण रहे और तीसरा संकल्प सनातन सापेक्ष सरकार बने की कामना की। कार्यक्रम अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, अखिल भारतीय संत समिति और श्रीकाशी विद्वत परिषद के मार्गदर्शन में गंगा महासभा के द्वारा आयोजित किया जा रहा है।
बता दें कि देश में सनातन धर्म को लेकर चल रहे माहौल और सनातन धर्म के खिलाफ हो रही बयानबाजी के बीच काशी में देशभर के संत जुटे हैं। आयोजन का मकसद सनातन धर्म को लेकर चल रही बयानबाजी और सनातन धर्म के खिलाफ बनाए रहे माहौल के बीच सनातन धर्मियों को एकजुट करके इस पर जवाब देना ही मुख्य है उद्देश्य है।