हरिद्वार। मां मंशा देवी कथित ट्रस्ट में घालमेल का सिलसिला जारी है। जहां बिंदू गिरि की मृत्यु के बाद अन्य को ट्रस्टी बनाने की कवायद की जा रही है। वहीं प्रदीप शर्मा को ट्रस्ट से निकालने की ठोस वजह अभी तक पता नहीं चल पाई है।
सूत्र बताते हैं कि राज गिरि की ट्रस्ट में एंट्री एक रणनीति के तहत की गई थी। इसमें राजगिरि की योग्यता को भी दर किनार कर दिया गया। जबकि 1963 के ट्रस्ट में उल्लेख्ति है कि 3 ट्रस्टी मिलकर 4 का चयन करेंगे। जबकि ऐसा नहीं हुआ। वहीं सूत्र बताते हैं कि समझौते के मुताबिक कथित ट्रस्ट में प्रदीप शर्मा की एंट्री होनी चाहिए थी। किन्तु ऐसा नहीं हुआ।
वहीं तीन माह के अंदर रामेश्वर पुरी का इस्तीफा लेने का औचित्य भी अभी तक साफ नहीं हुआ है। इस्तीफा किसने और क्यों लिया कुछ लोग इस बात पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं। बहरहाल प्रशासन के रहमोकरम से कथित ट्रस्ट असली ट्रस्ट की तरह संचालित किया जा रहा है।