हरिद्वार। धर्मनगरी में आश्रम-अखाड़ों की आड़ और भगवे का सहारा अपराधियों के बड़े काम आ रहा है। कुछ प्रभावशाली संतों के चलते अपराधियों के हौंसले और बुलंद हैं। ऐसे में विगत सप्ताह हरियाणा पुलिस कनखल के एक प्रतिष्ठित कब्जाधारी संत के आश्रम में आई। जहां संत के निजी सचिव पर नौकरी लगवाने के नाम पर हरियाणा के एक व्यक्ति से पैसे लेने का आरोप था। पीड़ित ने पैसे लेकर भी नौकरी न लगवाने का आरोप लगाते हुए हरियाणा के रोहतक जिले के लाखन में मुकदमा दर्ज कराया था।
पीड़ित ने अपने पत्र में आरोपित को आश्रम में शरण देने वाले संत पर भी सवालिया निशान लगाए थे। सूत्र बताते हैं कि आरोपित को पकड़ने के लिए पुलिस आश्रम में कई बार आई, किन्तु आरोपित पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा। सूत्रों के मुताबिक विगत सप्ताह कनखल के प्रतिष्ठित कब्जाधारी संत के आश्रम में हरियाणा से पुलिस आई। पुलिस को आरोपित मिल भी गया, किन्तु पुलिस ने आरोपित और संत के साथ बैठकर चाय पी और आरोपित को बिना गिरफ्तार किए चलती बनी।
आरोपित को पकड़ने आई पुलिस ने आरोपित के मिलने के बाद भी उसे क्यों गिरफ्तार नहीं किया और क्यों काफी समय आरोपित के साथ बिताया और क्यों मुकदमा दर्ज होने के बाद भी आरोपित को छोड़कर चली गई, यह बड़ा सवाल है।
सूत्र बताते हैं कि आरोपित को जिस संत ने अपना निजी सचिव बनाने के साथ शरण दे रखी है वह प्रभावशाली है और नेता, अधिकारी उसकी चरण वंदना में लगे रहते हैं, जिस कारण से संत के प्रभाव के कारण पुलिस ने आरोपित पर अपनी कृपा बनायी और बिना गिरफ्तारी के छोड़कर चली गई।


