आश्रम में बाउंसरों की भरमार, विशेष संतों के लिए सुरक्षा की विशेष व्यवस्था
हरिद्वार। आश्रम में तैनात सुरक्षा गार्ड, दर्जनभर बाउंसर, खौफ के साए में संत, कब किस पर हमला हो जाए किसी को नहीं पता, ऐसा तीर्थनगरी के एक आश्रम में चल रहा है। आश्रम के कथित मुखियाओं पर गैर जमानती धाराओं में मुकदमें दर्ज हैं। वाबजूद इसके वे सभी खुलेआम घुमते हुए कानून व्यवस्था का मखौल उठा रहे हैं। ऐसा कनखल के जगजीतपुर स्थित पायलट बाबा आश्रम में हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि पायलट बाबा के ब्रह्मलीन होने के बाद से ही सम्पत्ति को लेकर विवाद शुरू हो गया था। पायलट बाबा की हत्या किए जाने का आरोप भी है। जिसके चलते बाबा के शिष्यों के खिलाफ कोर्ट के आदेश पर मुकदमा भी दर्ज है। बावजूद इसके जिन पर मुकदमा दर्ज है वह वाउंसरों की सुरक्षा में हैं। इसी विवाद के चलते आश्रम के एक संत कर्ण गिरि पर दो बार हमला भी किया जा चुका है। बावजूद इसके पुलिस प्रशासन इस मामले में उदासीन बना हुआ है।
बता दें कि पायलट बाबा के आश्रम की सम्पत्ति को लम्बे समय से खुर्दबुर्द करने का ताना-बाना बुना जा रहा था। जो कभी बाबा का रसोईया हुआ करता था फिर ड्राईवर बना वह आज करोड़ों का अचानक स्वामी हो गया।
सूत्र बताते हैं कि कृष्णानगर के समीप पायलट बाबा ने जिस अस्पताल को निर्माण कराया था उसको करीब दस करोड़ रुपये में बेच दिया गया। आश्रमस्थ संतों के मुताबिक उस पैसे का आजतक कोई हिसाब किताब नहीं दिया गया। इतना ही नहीं मध्य प्रदेश में बाबा के एक भक्त ने 72 बीघा जमीन बाबा को दान दी थी। बाबा के ब्रह्मलीन होते की जमीन को औने-पौने दामों में बेच दिया गया। उस जमीन का पैसा कहां गया, किसी को नहीं पता। अब दान देने वाले व्यक्ति ने जमीन बेचे जाने पर आपत्ति दर्ज करते हुए मध्य प्रदेश मंे मुकदमा दर्ज कराया है।
सबसे बड़ा सवाल आश्रम में जो बाउंसर रखे हुए हैं उनका भुगतान कौन करता है, कैसे करता है और बांउंसरों की जरूरत
क्या है, इसका भी कोई हिसाब नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक वैसे तो करीब दर्जन भर बाउंसर हर समय आश्रम में तैनात रहते हैं, किन्तु कभी-कभी इनकी संख्या 20 तक पहुंच जाती है। वहीं कुछ बाबा के चेले ऐसे भी जिनकी सुरक्षा काफी पुख्ता है। उनके निवास स्थान के नीचे भी हर समय पांच से सात बाउंसर तैनात रहते हैं। निवास में जाने के लिए सीढि़यों में भी दो बाउंसरों की तैनाती रहती है। इस स्थान पर केवल बाबा के खास शिष्य और उनके ड्राईवरों को ही जाने की अनुमति है। निवास भी उनका इसी स्थान पर है। बिना अनुमति के बाबा के खास चेलों से कोई नहीं मिल सकता।
इतना होने के बाद भी पुलिस प्रशासन कोई ठोस कार्यवाही करने को तैयार नहीं है। आश्रमस्थ संतों का कहना है कि आश्रम में किसी संत या व्यक्ति की हत्या के बाद ही शायद पुलिस प्रशासन होश में आए। शिकायतों के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। आश्रम की सम्पत्ति को बेचकर जो पैसा आ रहा है उसका भी कोई हिसाब किताब नहीं है। बाबवजूद इसके सरकार भी उदासीन बनी हुई है।