इस बार मंडलेश्वर बाप बेटे ने कुंभ से बनाई दूरी
प्रयागराज। इस बार के प्रयागराज कुंभ को महाकुंभ कहा गया है। ज्योतिष के मुताबिक इस महाकुंभ में 144 वर्ष बाद ऐसा संयोग आया है, जो समुद्र मंथन के समय पड़ा था।
महाकुंभ में तपस्वी, सिद्ध, साधक, संत महात्मा आए हुए हैं, कहा तो यह भी जाता है कि कुंभ के स्नान पर्व में देवता, यक्ष, गंधर्व, किन्नर, नाग आदि भी आते हैं, किंतु इनके साथ एक अखाड़े में ऐसे भी कथित संत आए हुए हैं, जो पति पत्नी भी हैं और मंडलेश्वर भी। मजेदार बात यह कि इनके बारे में अखाड़ा भी अनभिज्ञ है। अखाड़े से जुड़े कुछ पुराने संत ही इनकी लीला को जानते हैं।
मजेदार बात यह कि इस बार बाप बेटा नहीं आए, जो दोनों मंडलेश्वर हैं। मजेदार बात यह कि पूर्व तक दोनों एक ही पंडाल लगाया करते थे और समष्टि भंडारा भी मिलकर दिया करते थे।
शास्त्रों में गृहस्थ के बाद सन्यास का विधान है, किंतु संन्यास के बाद पति पत्नी का मंडलेश्वर बनने के बाद एक साथ रहना निषेध है। यह कलीकाल है, इसमें जो अखाड़ों के संत कर दें वहीं कम है। बहरहाल मंडलेश्वर पति पत्नी कुंभ मेले में संतों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं।