जानिए कितना नुकसानदायक है मांसाहार, बता रहें हैं वैद्य दीपक

अब यह तथ्य पूर्णतः संदेह से परे है कि मांस खाना मानव शरीर के स्वास्थ्य के लिये बेहद हानिकारक है। मंास भक्षण से होने वाली बीमारियां और स्वास्थ्य संबंधी हानियां इतनी ज्यादा हैं कि उनके उल्लेख से तो एक बडा ग्रंथ तैयार हो जाएगा। संक्षेप में गिनाएं तो मांसाहार से मनुष्य निम्न रोगों से ग्रसित हो सकता हैः-

रक्ताल्पता, छाती का केंसर, अपेंडीसाईटीज, प्रोस्टेट ग्रंथि का केंसर, बडी आंत का केंसर, पित्ताषय में पथरी बनना, गठिया, संधिवात, कब्ज, मोटापा, मधुमेह, बवासीर , हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अट्टेक ये वे रोग हैं जो शाकाहारी लोगों की तुलना में मांसाहारियों को ही ज्यादा होते हैं।

मांस भक्षण से आपके शरीर में पशुं को खिलाई गई जहरीली दवाएं, हारमोन और रसायनिक पदार्थ भी पहुंच जाते हैं। जानने योग्य बात है कि शाकाहारी लोग मांसाहारी लोगों के तुलना में 25 प्रतिशत कम बीमार पड़ते हैं और कभी बीमार हो भी गए तो उनकी रिकवरी थोडे समय में हो जाती है। दरअसल मानव शरीर शाकाहार के हिसाब से ही निर्मित हुआ है। अधिक उम्र के मांसाहारियों का पाचन बिगड जाता है। अतः मांसाहार शरीर को शक्ति, और उर्जा प्रदान करने के बजाय सुस्ती, बैचेनी, क्रोध और दुखः से आक्रांत कर लेता है। मानव और शाकाहारी पशुओं की वसा और कोलेस्टरोल पचाने की क्षमता सीमित होती है। धमनियां कठोर होने लगती हैं जिससे रक्त का प्रवाह हृदय के ओर कम हो जाता है। परिणामस्वरूप हार्ट अटेक की संभावना बढ जाती है।

वैज्ञानिकों का एक समूह यह मत रखता है कि हमारे शरीर के लिय संतृप्त वसा की जरूरत नहीं है। जबकि दूसरे वैज्ञानिक कहते हैं कि स्वस्थ रहने के लिये संतृप्त वसा बेहद आवश्यक है। सभी प्रकार की वसा तो नुकसानदेह नहीं होती हैं, लेकिन पशुओं से प्राप्त वसा सीधे ही हृदय पर बुरा असर डालती है। रक्त परिसंचरण तंत्र पर व्यापक रूप से बुरा असर पडता है। इसके अलावा मांस भक्षण से मोटापा बढता है जो आज के युग की बहुत बडी समस्या है।

मांसाहार हमारी पाचन संस्थान पर ज्यादा बोझ डालता है। बहुत देर से पचता है। मांस बहुत लंबे समय तक आंतों में पडा रहता है। यह स्थिति केंसर पनपने के अनुकूल होती है। आंतों में पडे मांस में सडने की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है और सडा हुआ मांस आतों की झिल्लियों से चिपक जाता है। ये जहरीले पदार्थ लिवर, आतों और किडनी में रोग उत्पन्न कर देते हैं। मांस में कई प्रकार के जहरीले तत्व मौजूद होते हैं जो मानव में विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न कर मृत्यु का कारण बनते हैं।

महिलाओं पर किये गये एक अनुसंधान की रिपोर्ट है कि अधिक मात्रा में मांस खाने वाली महिलाओं में केंसर से मरने का खतरा 20 प्रतिशत ज्यादा होता है, जबकि हृदय रोगों की चपेट में आकर मरने का खतरा 50 प्रतिशत अधिक रहता है। इस अध्ययन में यह निष्कर्ष भी सामने आया है कि मांसाहार पर नियंत्रण कर 11 प्रतिशत पुरुष और 16 प्रतिशत महिलाओं को अकाल मौत से बचाया जा सकता है। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि मांस में सबसे निम्न दर्जे की वसा होती है जो स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है। यह भी कहा गया है कि मांस में केंसर पैदा करने वाले रसायन पाये जाते हैं। जो आहार रोग उत्पन्न करे और मनुष्य की मृत्यु का कारण बने उसे दर असल आहार की श्रेणी में रखना ही गलत है। क्या स्वाद और संतुष्टि के लिये जीवन को संकट में डालना उचित है? जबकि फलों और सब्जियों से भी यही संतुष्टि पाकर स्वास्थ्य को उन्नत किया जा सकता है?

मांसाहारियों में प्रोस्टेट ग्रंथि में केंसर का खतरा 40 प्रतिशत अधिक रहता है।
स्टडी में बताया गया है कि मांसभक्षी को हृदय रोगों से मरने का खतरा शाकाहारी की तुलना में दूगना रहता है। केंसर से मरने का खतरा 60ः ज्यादा रहता है। इसके अलावा 30 प्रतिशत अधिक खतरा अन्य रोगों से मरने का रहता है। मोटापा जो कई रोगों का आश्रय स्थल है जैसे हाई ब्लड प्रेशर, डाईबीटीज और पित्ताषय के रोग शाकाहारियों में कम देखने को मिलता है।

अमेरिका की केंसर सोसायाटी का मत है कि आहार में से मांस हटाकर और शाकाहार को प्रोत्साहित कर अमेरिका में प्रतिवर्ष 9 लाख नये केंसर रोगियों में से 35 प्रतिशत रोगियों का जीवन बचाया जा सकता है।
चिकित्सा वैज्ञानिक खुलासा प्रमाणित कर चुके हैं कि मांस का नियमित प्रयोग शरीर में विभिन्न रोगों को आसानी से प्रवेश का न्योता है। मांस भक्षण से केंसर, गठिया, टाईफाईड, पेट में अल्सर,पीलिया,सिरदर्द,हृदय रोग, पागलपन और गुदा का भगंदर जैसे रोगों के पैदा होने की प्रबल संभावना रहती है।
मांस ,शराब, गांजा, भांग, अफीम आदि तामसिक भोजन कहलाते हैं। लेकिन आज मांस के व्यंजन उच्च जीवन शैली के प्रतीक माने जाने लगे हैं।यह स्थिति भयावह है। लेकिन देर से ही सही अब अमेरिका,यूरोप,जापान आदि देशों में लोग शाकाहारी भोजन की महत्ता समझने लगे हैं और प्रतिवर्ष ऐसे लोगों की तादाद में इजाफा हो रहा है। विभिन्न शोध रेपोर्टों मे यह निष्कर्ष आया है कि मांसाहार से जटिल रोगों की पैदाईश होती है। मांसाहारी लोगों की रक्त-नलिकाओं में कोलेस्टरोल (चिकनाई) जम जाती है, इससे दिल को पहुंचने वाले खून की आपूर्ति में बाधा आने लगती है। उच्च रक्तचाप की स्थिति बनने लगती है। नतीजतन हार्ट अटैक और लकवा जैसे रोग हमला करने की जुगत में तैयार रहते हैं।मांसाहारी पुरुषों में प्रोस्टेट-केंसर होने की ज्यादा संभावना रहती है, जबकि मांसाहारी औरतों में गर्भाशय,डिम्बाशय और स्तन का केंसर होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।
चिकित्सा वैज्ञानिकों की शोध में यह तथ्य भी उभरकर आया है कि मांसाहारी लोग शाकाहारी लोगों की बनिस्पत ज्यादा बीमार पडते हैं। जबकि शाकाहारी लोग अगर बीमार पडते भी हैं तो मामूली किस्म के उपचार या ईलाज से वे ठीक हो जाते हैं। एक तथ्य यह भी है कि जहां मांसाहार जितना कम वहां केंसर रोग उतना ही कम तादाद में मिलता है।

ध्यान देने योग्य है कि एक किलो मांस में करीब 12-13 ग्रेन यूरिक एसीड पाया जाता है। यह केमिकल एक प्रकार का जहर है जिसकी मात्रा खून में अधिक हो जाने पर दिल की जलन, लिवर रोग, टीबी, श्वास रोग, रक्ताल्पता, गठिया, हिस्टीरिया आदि भयानक रोग पैदा हो जाते हैं।

एक वैज्ञानिक ने यह साबित किया है कि दही और खट्टी छाछ मानव के दीर्घ जीवन के लिये आवश्यक भोजन पदार्थ हैं। इनसे जोडों में जमा हुआ यूरिक एसीड बाहर निकल जाता है।सुचारू रक्त परिसंचरण के लिये यूरिक एसीड को शरीर से बहार निकाला पहला काम है। शाकाहार से शक्ति पैदा होती है जबकि मांसाहार से शरीर में उत्तेजना और दिमाग में हिंसक विचार पैदा होते हैं। मांसाहार शरीर में सुस्ती पैदा करता है और थोडे से परिश्रम से थकावट मेहसूस होने लगती है।मांसाहारी मानव का शरीर कई जटिल रोगों का आश्रय स्थल बन जाता है। सारांश के तौर पर हमने समझा कि मांसाहारी भोजन की बनिस्बत शाकाहारी भोजन शरीर और मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से सर्वोत्तम है।

Dr. (Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
Kankhal Hardwar aapdeepak.hdr@gmail.com
9897902760

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *