पुकार की रकम और मॉडल की जटाओं के बीच फंसा मठाधीश का पद

हरिद्वार । प्रयागराज कुंभ के दौरान स्नान आदि पर्वों पर देवता की पुकार (अरदास) कराने के बाद अखाड़े में रकम जमा न करने और मॉडल को नजदीक लाने से गुस्साए संतों के कोप के कारण मठाधीश के पद पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। जिसके चलते शीघ्र ही मठाधीश का पद जा सकता है।


सूत्रों के मुताबिक हरिद्वार के एक मठाधीश के पद पर गहरा संकट छा गया है। गुरु पूर्णिमा के दिन स्थान खाली करने के अल्टीमेटम के बाद अब अखाड़े के संतों का रूख मठाधीश के लिए बड़ी समस्या उत्पन्न करने वाला है। हालांकि मठाधीश ने स्थान खाली न करने का दो टूक जवाब दे दिया था, किन्तु अखाड़े की भृकुटि तन जाने के बाद मठाधीश के सारे दांव धरे के धरे रह जा सकते हैं। वैसे हटने और हटाने वाले सभी के नाडे एक-दूसरे से बंधे हुए है। ऐसे में किसी एक का नाड़ा खोलने पर सभी के नंगा हो जाने का भी डर है। बावजूद इसके कठोर कदम उठाए जा सकते हैं। इस कार्य में संतों की कैकई की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।


सूत्रों की माने तो मठाधीश को लेकर मध्य प्रदेश में संतों की लगातर मैराथन बैठकों का दौर चला। जिसमें नए मठाधीश को लेकर भी चर्चा होना बताया गया है। सूत्र बतातें हैं कि नए मठाधीश का चयन लगभग हो चुका है। वह विद्वान भी हैं और कुशल वक्ता भी उनको माना जाता है। सबसे बड़ी बात संन्यास परम्परा का वह निर्वहन कर रहे हैं। हाल के कुछ ही दिनों पूर्व उनको महामण्डलेश्वर बनाया गया है।


पुराने मठाधीश की विदाई की चर्चा यूं तो काफी समय से चली आ रही है, किन्तु इस बार मठाधीश के कारनामे उसको ले डूबने के लिए काफी है। बताया जा रहा है कि प्रयागराज कुंभ के दौरान मठाधीश ने अपने को सुपर साबित करने के लिए प्रत्येक बार 11 लाख रुपये की अखाड़े में देवता की पुकार करवायी। इसके साथ ही एक नकली जटा लगाकर घूमने वाली मॉडल को खासा महत्व दिया, जिस कारण से अखाड़े की भी बदनामी हुई और संत परम्परा को भी ठेस पहुंची। वहीं कई अन्य ऐसे कारण बताए गए हैं, जिनको लेकर मठाधीश और अखाड़े के बीच तनातनी रही।


सूत्र बताते हैं कि इन सभी विवादों को देखते हुए अब मठाधीश की विदाई लगभग तय हो चुकी है। इसके लिए मध्य प्रदेश में लगातार कई दिनों तक मैराथन बैठकों का दौर चला। बैठक में किसी को भी जाने की अनुमति तक नहीं थी, जहां नए मठाधीश पर लगभग-लगभग पूर्ण रूप से सहमति बन गयी है।

नया होने वाला मठाधीश सन्यास परम्परा का पालन करने वाला और विद्वान बताया गया है। अब देखना यह दिलचस्प होगा की नए मठाधीश की ताजपोशी कब होती है या फिर वर्तमान मठाधीश फिर से अखाड़े के महंतों पर दबाव बनाकर अपने पद को बचाने में कामयाब हो पाता है।

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