चुनावी बयार आते ही नवाबी नेताजी की पौ बारह

संजय रावल
हरिद्वार।
पंचपुरी भाजपाई राजनीति के लखनवी नवाब आजकल पूरीे रंग में दिखाई दे रहे हैं। चुनाव आते ही कलफ लगे कुर्ता पायजामा पहन प्रत्याशी के अगल-बगल में दिखने वाले नवाब की इन दिनों पौ बाहर है। राजनीति को व्यवसाय की मानिंद करने वाले उक्त नेताजी के करिश्मों की लम्बी फेहरिस्त है, जिससे शहर की भोली-भाली जनता संभवतया अंजान है।

वर्षों तक एक स्थानीय कालेज में बिना उपस्थिति दर्ज कराए वेतन आहरित करने वाले उक्त कथित नेता ने मर्यादा की सारी सीमाएं लांघ रखी हैं। जरायम पेशेवरों से लेकर अवैध निर्माणकर्ताओं, यूनियनों के नाम पर चंदा उगाही करने वालों को संरक्षण प्रदान करने वाले नेताजी ने कोरोनाकाल के दौरान भव्य व आलीशान मकान का निर्माण किया है। आय के नाम पर कोई अधिकृत व्यवसाय उक्त नेताजी के नाम पर दर्ज नहीं हैं, बावजूद इसके उनकी सम्पत्ति दिन दोगुनी रात चौगुनी लगातार होती चली जा रही है। शरीर से भी दमखम रखने वाले नेताजी ने चाटुकारिता की सारी हदें पार की हुई हैं। चूहे की मानिंद दिल रखने वाले नेताजी कब किसके सामने बिछ जाएं यह उनके व्यक्तित्व की खासियत है।


लगभग एक दशक पूर्व उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का एक चर्चित प्रकरण उक्त नेताजी की दरियादिली का ऐसा नमूना रहा है, जो गाहे-बगाहे चर्चा का विषय रहा है। आजकल चुनावी बयार में एक बार पुनः यह मुद्दा राजनीतिज्ञों व बुद्धिजीवियों में चटकारे लेकर सुनाया जा रहा है। हालिया चुनाव में भी नेताजी ने अपने आका के दम पर जबरदस्ती स्वंय को सर्वेसर्वा साबित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रखी हैं। सूत्र बताते हैं की चुनाव के नाम पर भी नेताजी ने मोटी रकम एकत्रित कर ली है। जबकि पार्टी द्वारा खर्च के लिए दी गई धनराशि को नेताजी ने इस मर्तबा भी डकारने की पूरी प्लानिंग बनाई हुई है। यदि किसी कारणवश मोदी सरकार न बनी तो नेताजी ईडी, सीबीआई के रडार पर आ सकते हैं।

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