संजय रावल
हरिद्वार। हरिद्वार के लखनवी नवाब नेताजी के करिश्मों की फेहरिस्त में आज दूसरी कड़ी की बानगी कुछ यूं है कि नेताजी, जो कि एक स्थानीय पीजी कालेज में बिना उपस्थित दर्ज कराए वेतन ले रहे थे साथ ही उन्होंने स्वंय को बेराजगार दर्शाकर उत्तराखण्ड पर्यटन विकास विभाग से वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली योजना के तहत लाखों रुपये का लोन राज्य सरकार के बैंकों से लिया, परन्तु चुकाया नहीं। सैंया भये कोतवाली तो डर काहे का, उनके आका ने राज्य सरकार में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए लोन को एनपीए करा दिया। इस प्रकार विगत दो दशकों से उदय हुआ लखनवी नवाब के भाग्य का सितारा लगातार प्रकाशमान है।
यही वजह है कि नेताजी का दिमाग हर समय सातवें आसमान पर बना रहता है, हालांकि उनके इसी आचरण के कारण पार्टी में उनके विरोधियों की तादाद काफी ज्यादा है, परन्तु आका का खास होने के कारण कोई भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं होता है। इसे अपनी लोकप्रियता जानकर लखनवी नेताजी इस वर्ष के अंत में होने वाले नगर निगम के चुनाव में मेयर बनने का सपना संजोए हुए हैं। हो सकता है कि उन्हें आका के स्तर पर इस कदर आश्वस्त कर दिया गया हो कि अंतिम दौर में उनका ही टिकट फाईनल होगा, जिसके चलते नेताजी चहुंओर हाथ-पैर फैलाकर धन एकत्रित करने में लगे हुए हैं।
बता दें कि हरिद्वार में रहते हुए नेताजी को जो ख्याति डेढ़ दशक में नहीं मिल पाई थी, वह लखनऊ में उन्होंने कुछ ही घंटों में हासिल कर ली थी। किसी के भी सामने बिछ जाने की उनकी इसी आत्ममुग्धता ने नेताजी को संघ में भी कई बड़े आकाओं का प्रिय बना दिया है, जिसके चलते नेताजी को आजकल स्वप्न में भी मेयर की कुर्सी और गाड़ी दोनों दिखायी देने लगी हैं। हसरत तो यहां तक है की अपनी इसी काबलियत के दम पर वह प्रदेश में भी बड़े स्तर का नेता बनने का ख्वाब संजोए हुए हैं।


