हरिद्वार। सात सितंबर महीने को इस वर्ष का आखिरी पूर्ण चन्द्र ग्रहण लेगा। ग्रहण भारत सहित दुनिया के तमाम बड़े हिस्सों में दिखाई देगा।
उल्लेखनीय है कि जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, तो सूर्य की रोशनी सीधे चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती, बल्कि पृथ्वी की वायुमंडलीय परतों में से गुजरते हुए लाल तरंगें चंद्रमा तक पहुंचती हैं तक चन्द्र ग्रहण होता है।
पं. देवेन्द्र शुक्ल शास्त्री के मुताबिक 7 सितम्बर को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण रात को 9 बजकर 57 मिनट पर आरंभ होगा और लगभग साढ़े तीन घंटे तक चलेगा। चंद्रग्रहण का चरम लगभग मध्यरात के समय रहेगा और यह ग्रहण पूर्वाह्न 01. 26 बजे समाप्त होगा। चंद्रग्रहण की यह खगोलीय घटना एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अफ्रीका में भी पूर्ण रूप से देखी जा सकेगी।
बताया कि यह ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लग रहा है, जिसमें राहु चंद्रमा के निकट युति में रहेगा और सूर्य-केतु कन्या राशि में होंगे। यह स्थिति ग्रहों का अशुभ योग बनाती है। शास्त्रों के अनुसार ऐसी स्थिति प्राकृतिक आपदाओं का संकेत देती है।
ज्योतिष के अनुसार इस चंद्र ग्रहण के प्रभाव के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में भूकंप की आशंका बढ़ सकती है। इसके साथ ही वैश्विक राजनीति में भी हलचल भी देखने को मिल सकती है। इस चंद्र ग्रहण से वृषभ, मिथुन, सिंह, तुला और कुंभ राशि के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
श्री शुक्ल के मुताबिक चन्द्र ग्रहण का सूते ग्रहण काल से 9 घंटे पूर्व प्रारंभ होता है। इस साल लगने जा रहे चंद्रग्रहण वाले दिन दोपहर 12.57 से यह सूतक लग जाएगा। सूतक के दौरान भोजन आदि करना तथा देवालयों में जाना निषेध बताया गया है।
सूतक काल आरम्भ होने से पूर्व सभी देवालयों के पट बंद कर दिए जाएंगे। सूतक काल के कारण हरकी पैड़ी पर होने वाली सांयकालीन गंगा आरती सूतक आरम्भ होने से पूर्व यानि दोपहर 12 बजे की जाएगी।
बड़ी बात यह कि इसी दिन से श्राद्ध आरम्भ होने जा रहे हैं। इस कारण से पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध करने वाले लोग सूतक काल आरम्भ होने से तर्पण, श्राद्ध आदि कर्म कर सकते हैं।