हरिद्वार। रामायण की कैकई श्री राम को चौदह वर्ष का बनवास मांगकर समाज में अपमान का पात्र बनी, किन्तु तीर्थनगरी में संतों की कैकई एक श्रीमहंत को उसके पद से हटाने की बिसात बिछाकर संतों में सिर फुटव्वल करवाने का कार्य करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। इतना ही नहीं अपने सम्मान को भी उसने कैकई की भांति दांव पर लगा दिया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अखाड़े में किसी पद पर न होने तथा संतों में कैकई के नाम से विख्यात एक कथित संत दूसरे अखाड़े के श्रीमहंत को अखाड़े से हटाने की बिसात बिछाने का कार्य करने में जुटे हुए हैं।
सूत्रों की माने तो कैकई वर्तमान संत को उनके पद से हटवाकर किसी वृदावन के संत की उनके स्थान पर ताजपोशी करवाकर अपना वर्चस्च बढ़ाने की मंशा पाले हुए है। बताते हैं कि भगवा कैकई का कार्य संतों में फूट डालो और राज करो की नीति का रहा है।
वैसे किसी भी अखाड़े के संत किसी अन्य अखाड़ों के अंदरूनी मामलों में दखलंदाजी नहीं करते, किन्तु कैकई अपने स्वभाव के कारण हर जगह अड़ंगा लगाने का कार्य करती है और उपहास का पात्र बनती है। वैसे कैकई जिस श्रीमहंत को हटवाने की मुहिम पर कार्य रही है, उस श्रीमहंत के समक्ष उसकी बोलती बंद हो जाती है। पूर्व में भी श्रीमहंत के हडकाने के बाद कैकई की जुबान बंद हो चुकी है और कैकई को गिड़गिडाते हुए भी देखा गया है। अब फिर से ऐसा होगा यह समय ही बताएगा।
वैसे श्रीमहंत कैकई की इस मुहिम पर कार्य करने के कारण खासे खफा हैं और मौका मिलते ही कैकई का भरत की भांति समाज के समक्ष अपमान करने से वह पीछे रहने वाले नहीं हैं। संभावना जतायी जा रही है कि अभी एक-दो संत और कैकई के कारनामों को लेकर मीडिया के समक्ष आने वाले हैं।