ज्योतिषपीठ के न ही स्वामी स्वरूपानंद शंकराचार्य थे और न ही अविमुक्तेश्वरांनंद शंकराचार्य हैंः अग्रवाल

अखिल भारतीय श्री धर्म रक्षा सेना के राष्ट्रीय संयोजक जानकीशरण अग्रवाल ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहाकि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य नहीं हैं। बताया कि स्वामी स्वरूपानंद का इलाहाबाद हाईकोर्ट के दोनों जजांे ने ज्योतिष पीठ पर से दावा खारिज कर दिया। दिनांक 22.9. 2017 में फस्ट अपील नं. 309 वर्ष 2015 अपने 678 पेज के आदेश में पेज नं. 675 में कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि स्वामी कृष्णबोधाश्रम ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य नहीं हैं, तब उनके चेले स्वामी स्वरूपानंद ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य नहीं हो सकते हैं। वर्तमान में ज्योतिष पीठ का मामला क्रमांक 3010/2020 के सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश 2 जुलाई वर्ष 2018 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को यथास्थित बनाए रखने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने (स्टेटस को) बनाए रखने का आदेश दिया है।

उन्होंने कहाकि स्वामी स्वरूपानंद ने अपने जीवन काल में पत्र एवं मीडिया के माध्यम से कई बार उन्होंने अपने बयान में कहा कि हमारे पास कोई योग्य साधू नहीं है और ना ही मैं वसीयत बनाऊँगा, ना ही उत्तराधिकारी घोषित करूंगा। स्वामी स्वरूपानंद के देव लोक गमन के पश्चात उनके तथाकथित चेलांे ने फर्जी वसीयत तैयार कर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने स्वयं को ज्योतिष पीठ का शंकराचार्य एवं स्वामी सदानंद उर्फ रमेश अवस्थी ने स्वयंभू द्वारका पीठ का शंकराचार्य घोषित कर लिया तथा ब्रम्हचारी सुबोद्धानंद ने इन दोनों तथाकथित शंकराचार्यों का सचिव नियुक्त कर फर्जी वसीयत के जरिए सम्पत्ति की बंदरबाट कर ली है। श्री अग्रवाल ने बताया कि ब्रम्हचारी सुबुद्धानंद ने गोटेगांव न्यायालय में दिनांक 30. 1. 2023 को तहसील में फर्जी वसीयत के आधार पर एक आवेदन पेश कर सार्वजनिक सम्पत्ति को अपने नाम नामांतरण करने का आवेदन दिया था। जिस पर उन्होंने 20 फरवरी 2023 को आपत्ति पेश की, जिसमें प्रकरण क्र. 0411ध्अ-6/2022-23 मंें नायब तहसीलदार ने ब्रम्हचारी सुबुद्धानंद का प्रकरण खारिज कर दिया। प्रकरण के दौरान सुबंद्धानंद को वसीयत पेश करने के लिए कहा गया वह उपस्थित नहीं हुए।


जानकीशरण अग्रवाल ने कहाकि स्वामी स्वरूपानंद के जीवन काल में ही स्वामी सदानंद उर्फ रमेश अवस्थी के खिलाफ न्यायालय में दंडी सन्यासी कहने से निषेध एवं षडयंत्र पूर्वक शंकराचार्य बनने के प्रयास पर रोक लगाने के लिए दिनांक 24.8. 2022 को मामला क्रमांक आरसी एसए 94 दाखिल किया गया, जो कि लम्बित है। स्वामी सदानंद उर्फ रमेश अवस्थी का न्यायालय ने वह आवेदन खारिज कर दिया, जिसमें इन्होंने वादी जानकीशरण अग्रवाल को मामला चलाने का अधिकार नहीं है और ना ही मध्यप्रदेश में मामला चलाने की बजाय गुजरात में क्षेत्राधिकार बनता है। न्यायालय ने इनका वह आवेदन खारिज करते हुए कहा कि वादी जानकीशरण अग्रवाल को आपके खिलाफ मामला चलाने का अधिकार भी है और न्याय क्षेत्र भी मध्य प्रदेश ही रहेगा।


उन्होंने बताया कि स्वामी सदानंद उर्फ रमेश अवस्थी के परमहंसी गंगा आश्रम झोतेश्वर में इनके व्यवस्थापक रहते हुए इनके दोनों सगे भांजे दीपेन्द्र तिवारी (सचिव) एंव अनिल दुबे ने एक ब्राम्हण लड़की अनामिका तिवारी की सामुहिक बलात्कार कर हत्या कर दी थी। वर्ष 2015 में जिसका मामला क्र. 394. 2016 है। जो कि आज तक जबलपुर न्यायालय में लम्बित है। वर्तमान में दोनों आरोपी जेल में है। तथा वृद्धाश्रम के वृद्धों के साथ मारपीट की जाती है, उनको भूखा रखा जाता है। बल्कि एक 82 साल के वृद्ध गौरीशंकर दुबे की हत्या कर दी गई। वृद्धाश्रम में हर वर्ष लगभग 12 लाख रुपये का अनुदान आता है, लेकिन वृद्धों को प्रताडि़त किया जाता है। स्वामी स्वरूपानंद के शिष्य ब्रम्हचारी शिवस्वरूप ने अपने ही लगभग 7 पेज व वीडियो बयान में स्वामी सदानंद को चरित्रहीन, गृहस्थ एवं भ्रष्ट बताया है।


स्वामी सदानंद उर्फ रमेश अवस्थी ने वन जीव अधिनियमों को ताक पर रख हथनीनामा की हत्या कर दी गई। स्वामी सदानंद उर्फ रमेश अवस्थी के क्रिया कलापों को देखते हुए 23 अगस्त 2022 को पुलिस महानिरीक्षक जबलपुर को श्री आदि गुरू शंकराचार्य की धरोहर चन्द्र मौलेश्वर महादेव शिवलिंग जो कि 2500 साल पुराने नीलमणि रत्न के शिवलिंग हैं, भारत सरकार को उन्हें अपनी कस्टाडी में ले लेना चाहिए। पूर्व में भी एक बार सरकार शिवलिंग को अपनी कस्टेडी में ले चुकी है। इस तरह स्वामी सदानंद उर्फ रमेश अवस्थी के क्रियाकलाप एक दंडी सन्यासी के नहीं हो सकते। उन्होंने कहाकि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा वर्तमान में श्री राम जन्म भूमि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जो विवाद किया जा रहा है उस पर अपनी स्वार्थ पूर्ति हेतु राजनीति की जा रही है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा अपने आपको स्वयंभू त्योतिष पीठ का शंकराचार्य प्रचरित किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। इन लोगों के क्रिया कलापों से सनातन धर्म को बड़ी क्षति पहुच रही है।
उन्होंने कहाकि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य नहीं है। मीडिया द्वारा उन्हें ज्योतिष पीठ का शंकराचार्य प्रचालित किया जाना सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का मामला बनता है।

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