युगांतकारी संत थे जगद्गुरू रामानंदाचार्य महाराजः रविन्द्रपुरी

हरिद्वार। जगद्गुरु रामानंदाचार्य महाराज की जयंती के अवसर पर मध्य हरिद्वार स्थित श्री रामानंद आश्रम आचार्य महापीठ में संत समाज ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर आरती की और कोरोना महामारी की समाप्ति हेतु पूजा अर्चना कर विश्व कल्याण की कामना की। इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि भक्ति आंदोलन के प्रणेता एवं श्री रामानंद संप्रदाय के प्रवर्तक जगतगुरु स्वामी रामानंदाचार्य परम तपस्वी युगांतकारी दार्शनिक एवं समन्वयवादी संत थे। जिनमें बाल्य अवस्था से ही अत्यंत विलक्षण प्रतिभा समाहित थी। जिन्होंने समाज से जात पात ऊंच नीच का भेदभाव समाप्त कर समरसता का संदेश दिया। संत कबीर जैसे महापुरुषों ने जगद्गुरु रामानंदाचार्य महाराज से दीक्षा प्राप्त करने के पश्चात पाखंड और अंधविश्वास का आजीवन पुरजोर विरोध किया। राष्ट्र निर्माण में ऐसे महापुरुषों का योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा। उन्होंने कहा कि जगद्गुरु रामानंदाचार्य महाराज ने भारतीय वैष्णव भक्ति धारा को पुनर्गठित किया और विभिन्न मत मतांतरो एवं पंथ संप्रदायों मे फैली वैमनस्यता को दूर करने के लिए समस्त हिंदू समाज को एक सूत्र मे पिरोया। साथ ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम को अपना आदर्श मानकर सरल राम भक्ति के मार्ग को प्रशस्त किया। श्रीमहंत विष्णु दास एवं बाबा बलराम दास हठयोगी महाराज ने कहा कि जब समाज में चारों ओर आपसी कटुता और वैमनस्य का भाव भरा हुआ था। ऐसे समय में जगदगुरु स्वामी रामानंद ने भक्ति करने वालों के लिए नारा दिया जात पात ना पूछे कोई हरि को भजे सो हरि का होई। उन्होंने महिलाओं को भी भक्ति के वितान में समान अधिकार दिया। वैष्णव संप्रदाय उन्हीं के आदर्शो को अपनाकर समाज सेवा में अपना अतुल्य योगदान प्रदान कर रहा है और भारत सहित पूरे विश्व में सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार करने में वैष्णव संत अपना जीवन समर्पित कर रहे हैं। इस अवसर पर पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी, महंत जसविन्दर सिंह, महंत देवानंद सरस्वती, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेश दास, महंत सुतीक्षण मुनि, महंत सूरज दास, महंत अरुण दास, महंत दुर्गादास, महंत प्रेमदास, महंत प्रमोद दास, महंत बिहारी शरण, महंत गोविंददास, महंत अंकित शरण, महंत राजेंद्र दास, स्वामी जगदीशानंद गिरी, स्वामी चिदविलासानंद, महंत शंभू दास, महंत नारायण दास पटवारी सहित बड़ी संख्या में संत महंत उपस्थित रहे।

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