जीवन को स्वस्थ रखने के लिए, प्रकृति ने हर रोग का उपचार अपने आप में समेटा हुआ है । बस, आवश्यकता है थोड़ा सा भरोसा और सब्र का, जो आपको एलोपैथिक औषधीयों के दुष्प्रभाव से बचाएगा।
नींबू के पत्तों का रस निकालकर नाक से सूंघे, जिस व्यक्ति को हमेशा सिरदर्द बना रहता है, उसे भी इससे शीघ्र आराम मिलता है।
काली मिर्च को सुई से छेद कर दे, फिर मोमबत्ती की लौ से जलाएं। जब धुआं उठे तो, इस धुएं को नाक से अंदर खीच लें। इस प्रयोग से, सिर दर्द ठीक हो जाता है और हिचकी का चलना भी बंद हो जाती है।
दो छोटे चम्मच आंवला का चूर्ण, एक कटोरी में ले और उसमें एक छोटा चम्मच शहद डालकर, अच्छी तरह से मिला लें। नित्य सुबह, इस मिश्रण का सेवन करने से अस्थमा में लाभ होगा ।
नीम की निम्बोली के अंदर की सुखी गिरी और कालिमिर्ची को, बराबर मात्रा में लेकर दोनों को कूटपीस लें। आधा चम्मच नित्य सुबह, भूखे पेट पानी के साथ 2 सप्ताह तक लें । चाहे कैसी भी बवासीर हो, ठीक हो जाती है।
सहजन (Moringa) के पेड के पत्ते का रस, 3 चम्मच की मात्रा में , नित्य सेवन करने से, त्वचा का ढीलापन दूर होता है और चर्बी की अधिकता कम होती है ।
दांत में कीड़े लगने और दर्द होने पर, लौंग को दांत के खोखले स्थान में रखने से या लौंग का तेल लगाने से , दर्द नही होता है, साथ ही कीड़ा बहार निकल जाता है।
Dr. (Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
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