डेंगू ज्वर से बचाव व चिकित्सा

आजकल ज्वर के कारण हस्पतालों में भारी भीड़ लगी हुई है कई मौतें भी हो चुकी हैं आजकल प्राय मलेरिया, टाइफाइड व डेंगू आदि का ज्वर होता है मलेरिया व टाइफाइड का तो खून की जांच से आसानी से पता चल जाता है लेकिन जब मलेरिया व टाइफाइड दोनों में से कोई भी न हो तो उसे डाक्टर वाइरल ज्वर के नाम बताते हैं | इन दिनों होने वाले इस ज्वर बचने के राम बाण उपाय आयुर्वेद में बताये गए है यदि इनका पालन कर किया जाये तो आजकल का ये बुखार हो ही नहीं सकता | वाग्भट ने लिखा है कि हमारे शरीर में गर्मियों के मौसम में पित्त (गर्मी )की वृद्धि होती है वर्षा ऋतु में मौसम के ठंडा होने के कारण ये शारीर में ही संचित रहता है वर्षाकाल के बाद भादों आश्विन(क्वार) व कार्तिक तक के मौसम में जब दिन में तेज धूप पड़ती है तथा इस ऋतु में पित्त(गर्म )वर्धक भोजन करने से ये पित्त अपना असर दिखाने लगता है |

उन्होंने ये भी बताया है कि जिस वर्ष वर्षा अधिक होती है उस वर्ष ये ज्वर अधिक होता है | किसी भी तरह का बुखार हो उसमें शरीर की गर्मी बढ़ना निश्चित है शरीर के ताप का बढ़ना ही बुखार है यह ताप बिना पित्त के नहीं हो सकता | कफ व वात के बुखारों में भी बिना पित्त के बुखार नहीं हो सकता | आयुर्वेद के अनुसार ज्वर सबसे पहले रक्त को कमजोर करता है ज्वर में रक्त सूखने लगता है | इसके लिए आयुर्वेद में पथ्य व अपथ्य के बारे में बताया है यदि हम आयुर्वेद के बताये रस्ते पर चलें तो ये बुखार हो ही नहीं सकता है |आयुर्वेद के अनुसार आजकल दही छाछ, करेला, राई, हींग सभी खट्टे फल,खट्टे स्वाद वाला जूस चाहे वो मौसमी का ही क्यों न हो, मूली, छोटी कचरी, अदरख, बाजार का खाना, चाट पकौड़ी, गोल गप्पे, नीबू चाय काफी का अधिक सेवन आदि बिलकुल भी प्रयोग न करें कुछ आयुर्वेदाचार्य अदरख व तुलसी की चाय का प्रयोग बताते हैं इनका प्रयोग हरगिज न करें क्योंकि अदरख व तुलसी दोनों ही पित्त यानि गर्मी करने वाली हैं |

यदि इस बुखार से पीड़ित रोगियों के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि इनमे सत्तर प्रतिशत रोगी तीस पैंतीस वर्ष तक की आयु के वर्ग के होते हैं इस वर्ग के बच्चे व युवा खान पान का बिलकुल भी ध्यान नहीं रखते हैं जिसकारण वे इस बुखार की चपेट में आ रहे हैं |

आयुर्वेद में इसकी चिकत्सा भी लिखी है यदि किसी को शिरदर्द , शरीरदर्द , उलटी, भूख न लगना, आँखे लाल होना, पतले दस्त , पेशाब का रंग पीला होना, नींद न आना , रक्त का बहना आदि लक्षण हों तो रोगी को भोजन कम से कम दें उसे दूध अच्छी तरह उबाल कर ठंडा करके दिन चार पांच बार एक एक कप घूँट घूँट करके पिलायेंl घीया, तोरी छिलके वाली मूंग मसूर की दाल सेब का तजा जूस पिलायें | महासुदर्शन चूर्ण एक एक चम्मच दिन में दो बार, अमृतारिष्ट तीस मिलीलीटर बराबर पानी मिलकर भोजन के बाद दिन में दो बार दें, गिलोय का काढ़ा व पपीते के पत्तों का रस दिन में तीन बार तक दे सकते हैं बुखार कम करने के लिए स्वर्ण बसंत मालती की गोली देनी चाहिए | यदि रोगी की दशा ज्यादा गंभीर है तो उसे तुरंत डाक्टर के पास ले जाएँ | निश्चित रूप से लाभ होगा ये अनुभूत औषधि है |
Dr.(Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
Kankhal Hardwar aapdeepak.hdr@gmail.com
9897902760

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