अखाड़ेः नोटिस, निष्कासन और बढ़ती रार

हरिद्वार। कुछ अखाड़ों से संतों, महामण्डलेश्वरों के निष्कासन व कुछ को नोटिस भेजे जाने की चर्चाएं जोरों पर हैं। किन्तु अभी तक न तो संतों को दिया गया नोटिस सामने आया है और न ही निष्कासित किए गए संतों के नामों की सूची। जिसको लेकर तमाम तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है। खासकर संतों में भी इस बात को लेकर खासी गहमा-गहमी चल रही है।


चर्चाओं के मुताबिक दो अखाड़ों से 54 और 24 संतों को नोटिस भेजा है। जिसमें 37 महामण्डलेश्वर भी शामिल बताए गए हैं। मजेदार बात यह की इस चर्चा को चले करीब एक सप्ताह बीतने वाला है। बावजूद इसके न तो नोटिस का मजमून सामने आया है और न ही कोई सूची। जिससे इन चर्चाओं को कुछ संत सिरे से नकार रहे हैं।


वैसे भी देखा जाए तो कोई भी अखाड़ा इतनी बड़ी संख्या में अपने अखाड़े से महामण्डलेश्वरों या महंतों को निष्कासित नहीं कर सकता। कारण की एक मण्डलेश्वर लाखों रुपये की कमाई का जरिया है। बात कुंभ पर्व की करें तो एक कुंभ मेले के दौरान एक मण्डलेश्वर पुकार आदि के नाम पर करीब-करीब कम से कम ढ़ाई लाख रुपये औसतन अखाड़े को देता है। यह बात साधारण मण्डलेश्वर की है। यदि बात बड़े मण्डलेश्वर आदि संतों, महतों की करें तो यह रकम करीब दो से चार गुनी तक हो जाती है। जो सारा पैसा अखाड़े में जमा होता है।

ऐसे में साधारण मण्डलेश्वर द्वारा विभिन्न माध्यमों से अखाड़ों को दी जाने वाली रकम का हिसाब भी लगाया जाए तो यह 78 संतों के हिसाब से यह रकम करीब-करीब दो करोड़ के आसपास बैठती है। ऐसे में कौन सा अखाड़ा अपना इतना बड़ा नुकसान करने की सोचेगा। जबकि भण्डारों आदि की स्थिति को देखें तो हजार, पांच सौ की दक्षिणा के लिए इनमें तू-तू, मैं-मैं होना आम बात है। ऐसे में निष्कासन और नोटिस की चर्चाओं में कोई खासा दम नजर नहीं आता।


सूत्रों की माने तो मजेदार बात यह कि जब अखाड़ों की सम्पत्ति बेचने वालों पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती तो अखाड़ा दूसरों पर कैसे कार्यवाही कर सकता है। निष्कासन का जो आधार बताया जा रहा है उस पर अखाड़ों के पदाधिकारी भी पूरी तरह से खरे नहीं उतरते।


यदि मान लिया जाए की अखाड़े ऐसा कर भी दंे तो यह भी संभव है कि संतों और मण्डलेश्वरों की एक बड़ी जमात परमादर्श संतों की भांति अपनी कोई दूसरी संस्था का निर्माण न कर दे। यदि ऐसा होता है तो अखाड़ों के लिए यह बहुत बड़ा झटका होगा। ऐसा होने से अखाड़ों के कुछ पदाधिकारियों को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।


वहीं सूत्रों के मुताबिक यदि किसी भी सही संत या मण्डलेश्वर के खिलाफ ऐसा कोई कदम उठाया जाता है तो कुछ संत अखाड़ों के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए तैयार हैं। कुछ संतों ने इसका खाका भी तैयार कर लिया है। सूत्रों की माने तो ऐसा होने पर कुछ संत अखाड़ों के पदाधिकारियों के काले चिट्ठे खोलकर कथित संतों की सच्चाई को जनता के सामने लाने को उत्सुक हैं। ऐसे में अखाड़ों के समक्ष बड़ी समस्या उत्पन्न हो सकती है।

नाम न छापने की शर्त पर एक संत ने बताया कि अखाड़ों की कितनी जमीन बेची गई है, उसका सीरियल से हिसाब-किताब जनता के समक्ष रखा जाएगा। कितने की जमीन बिकी और कितना अखाड़े में जमा हुआ उसकी कहानी भी सार्वजनिक की जाएगी। सम्पत्ति और पैसे के लिए कितनों की हत्या हुई उसका भी लेखा जोखा सार्वजनिक किया जाएगा। इतना ही नहीं कहां-कहां अखाड़े के कथित पदाधिकारियों ने दूसरों की सम्पत्ति पर कब्जा किया हुआ है, उसका चिट्ठा भी वे सार्वजनिक करेंगे। साथ ही पदाधिकारियों पर कहां-कितने मुकदमें दर्ज हैं उसका हिसाब भी सार्वजनिक किया जाएगा। कुल मिलाकर इस बार कुंभ में कुछ बड़ा होने के संकेत मिलने लगे हैं। जिससे कहीं न कहीं बयानवीर बैकफुट पर आते दिखायी देंगें।

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