अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने किया भगवान पशुपतिनाथ का अभिषेक, देखें वीडियो

श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा निर्विघ्न संपन्न होने के लिए की पूजा अर्चना

हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्री महंत रवींद्र पुरी महाराज ने अयोध्या में होने वाले श्री राम लाल प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में जाने से पूर्व भगवान दक्षेश्वर महाराज का जलाभिषेक कर प्रस्थान किया। इसके पश्चात उन्होंने मध्य प्रदेश के मंदसौर पहुंचकर वहां भगवान पशुपतिनाथ मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक कर राम लाल प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव, भारत के विश्व गुरु बनने तथा देश में राम राज्य स्थापित होने की कामना की।

मध्य प्रदेश के मंदसौर स्थित श्री पशुपतिनाथ मंदिर पहुंचने पर वहां के आचार्यों ने स्वस्तिवाचन कर वेद ऋचाओं के साथ श्री महंत रवींद्र पुरी महाराज का स्वागत किया।

भगवान पशुपतिनाथ महादेव का जलाभिषेक करने के पश्चात उन्होंने कहा कि वह श्री राम लाल प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में शिरकत करने के लिए अयोध्या जा रहे हैं, क्योंकि कार्य श्री राम का है, इसलिए भगवान श्री राम के आराध्य भगवान शिव का पूजन करना आवश्यक होता है। उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने से पूर्व भगवान रामेश्वरम की स्थापना की और उनका पूजा अर्चन के साथ अभिषेक किया। इसी कारण सभी कार्य निर्विघ्न संपन्न हो, देश में राम राज्य स्थापित हो और भारत पुनः विश्व गुरु बने इन्हीं कामनाओं के साथ उन्होंने भगवान का अभिषेक किया है।

उन्होंने कहा कि बिना शिव आराधना के भगवान राम की प्राप्ति और बिना भगवान राम की आराधना की भगवान शिव की प्राप्ति नहीं हो सकती। रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि श्री राम और भगवान शिव दोनों एक दूसरे के पूरक है। उन्होंने कहा कि यह बड़े उल्लास का विषय है कि 22 जनवरी को भगवान श्री राम अपने भव्य मंदिर में विराजमान होंगे, यह सनातनियों के लिए गौरव का विषय है। इस दिन सभी सनातनियों को दीपावली की भांति अपने घरों में प्रकाश करने के साथ भगवान राम का भजन करने व कम से कम पांच दीप प्रत्येक घर में जलकर इस विराट उत्सव के भागीदारी बनने की अपील की।

उन्होंने कहा कि हम परम सौभाग्यशाली हैं, जो भगवान राम को अपने भव्य मंदिर में विराजमान होता देखेंगे। यह दिन 500 वर्षों के लंबे संघर्ष और सैकड़ो प्राणों की आहुतियां के बाद हमें प्राप्त हुआ है। इस कारण इस दिन को बड़े उत्सव के रूप में सभी को मनाना चाहिए।

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