हरिद्वार। सत्ता पाने के बाद कोई बिरला ही होता है, जिसे सत्ता का मद ना हो। सत्ता पाने के बाद मद होने पर उसका पतन भी साथ-साथ शुरू हो जाता है। ऐसा ही तीर्थनगरी हरिद्वार के एक बड़े अखाड़े में भी होने के संकेत मिले हैं। जहां अखाड़े के पंच परमेश्वर और बड़े संत अखाड़े में सत्ता परिवर्तन की कवायद में जुट गए हैं।
सूत्र बताते हैं कि अखाड़े की सत्ता हाथ में आने के बाद एक संत के अखाड़े की सम्पत्ति को ठिकाने लगाने के साथ उस पर ऐश करने से कई संत नाराज हैं। इतना ही नहीं सूत्रों का कहना है कि सत्ता हाथ में आने के बाद अखाड़े की कुछ सम्पत्तियों पर पदाधिकारी ने अपना एकाधिकार जमाना भी शुरू कर दिया है। साथ ही पदों, अन्य प्रमुख स्थानों व सम्पत्तियों पर अपने नजदीकियों को सत्ता सौंपनी शुरू कर दी हैं। इसके साथ ही अखाड़े में दशनामियों में से केवल एक दशनाम विशेष के लोगों को ही महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया जा रहा है। जिस कारण से अखाड़े के साधुओं, पंच परमेश्वर व कुछ बड़े महंतों में इसको लेकर रोष उत्पन्न हो चुका है और वह सत्ता परिवर्तन कर अखाड़े को बचाने की कवायद में जुट चुके हैं। वहीं इसी के साथ एक और प्रमुख संत को भी अखाड़े से बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी की जा रही है। सूत्र बताते हैं कि संत के हाथों में सत्ता आने के बाद वह अपने नीजि स्वार्थ के लिए अखाड़े के धन को काफी नुकसान पहुंचा चुका है। जबकि इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले को या तो अखाड़े से बाहर कर दिया जाता है या फिर उस पर दबाव बनाकर उसे शांत कर दिया जाता है। अब संत अंदरखाने इस समस्या को दूर करने के लिए सत्ता परिवर्तन की रणनीति पर अमल करने में जुट गए हैं। यही कारण है कि विगत तीन बैठकें घोषणा होने के बाद भी नहीं हो पायीं।


बड़ी खबरः सत्ता परिवर्तन की कवायद हुई शुरू, बड़े पदाधिकारी पर भी लटकी तलवार!


