अर्धकुंभ मेला का निमंत्रण मिला तो शामिल होंगे अखाड़े, अमृत स्नान भी करेंगेः हरि गिरि

कुंभ मेले की परंपरा है कि अखाड़ों को मुख्यमंत्री द्वारा ही निमंत्रण दिया जाता हैः रवींद्र पुरी
हरिद्वार। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी ट्रस्ट हरिद्वार के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी महाराज ने कहा कि हरिद्वार के अर्धकुंभ मेले को लेकर अभी अखाड़ों को मुख्यमंत्री या प्रशासन की ओर से कोई निमंत्रण नहीं मिला है। निमंत्रण मिलने पर सभी अखाड़े अर्धकुंभ मेले में अवश्य शामिल होंगे।


श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने कहा कि अखाड़ों को निमंत्रण का इंतजार है। जहां कहीं भी महाकुंभ, कुंभ या अर्धकुंभ होता है, वहां के मुख्यमंत्री द्वारा सभी अखाड़ों को निमंत्रण दिया जाता है। अभी तक हरिद्वार में होने वाले अर्धकुंभ मेले के लिए अखाड़ों को मुख्यमंत्री, उत्तराखंड शासन, हरिद्वार प्रशासन या किसी भी अधिकारी की ओर से कोई निमंत्रण नहीं दिया गया है।


कुंभ मेले का अर्थ ही विकास से है। जहां कुंभ होता है, वहां राज्य का विकास होता है, मार्गों का विकास होता है और अन्य अनेक प्रकार के विकास कार्य होते हैं। कुंभ मेले को सफल बनाने तथा उससे पूर्व किए जाने वाले विकास कार्यों के लिए अखाड़ों व साधु-संतों को मुख्यमंत्री द्वारा आमंत्रित किया जाता है और उनके साथ बैठक कर सुझाव लिए जाते हैं।
हरिद्वार में होने वाले अर्धकुंभ के लिए न तो अभी मुख्यमंत्री या शासन-प्रशासन की ओर से किसी बैठक के लिए निमंत्रण आया है और न ही अखाड़ों को मेले में भाग लेने के लिए कोई प्रस्ताव दिया गया है। हमें प्रस्ताव व निमंत्रण का इंतजार है। मुख्यमंत्री अखाड़ों को अर्धकुंभ मेले के लिए निमंत्रित करेंगे तो अखाड़े उसमें अवश्य शामिल होंगे और अमृत स्नान भी करेंगे।


अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी ट्रस्ट हरिद्वार के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी महाराज ने कहा कि मुख्यमंत्री राज्य का राजा ही होता है और कुंभ मेले की यह परंपरा है कि कुंभ मेले के कार्यों की शुरुआत पहले राजा और अब मुख्यमंत्री करते हैं। महाकुंभ, कुंभ या अर्धकुंभ जिस राज्य में होता है, उस राज्य के मुख्यमंत्री स्वयं अखाड़ों को मेले का निमंत्रण देते हैं, क्योंकि महाकुंभ, कुंभ व अर्धकुंभ कोई साधारण स्नान या मेला नहीं है। यह मेला तो साधु-संतों के लिए ही होता है। साधु-संतों के स्नान के बाद ही अमृत की वर्षा होती है, जिससे देश-विदेश के श्रद्धालु सराबोर होते हैं।

उज्जैन में कुंभ का आयोजन हो रहा है तो वहां के मुख्यमंत्री ने सभी अखाड़ों को उसका निमंत्रण दे दिया है। नासिक के कुंभ के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने निमंत्रण दिया है। नासिक के कुंभ को लेकर हुई बैठक में सभी अखाड़ों को भूमि देने के साथ विकास कार्यों के लिए पाँच-पाँच करोड़ रुपये देने की मांग की गई थी। वहां के मुख्यमंत्री, कमिश्नर व कुंभ मेला अधिकारी निरंतर अखाड़ों के संपर्क में रहते हैं। अधिकारियों ने बताया है कि अखाड़ों के लिए एक-एक करोड़ रुपये स्वीकृत हो चुके हैं। कुंभ मेला शुरू होने से पहले ही सभी अखाड़ों को पाँच-पाँच करोड़ रुपये मिल जाएंगे।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से वार्ता हुई थी, तो उन्होंने कहा था कि श्रीमहंत हरि गिरि महाराज का इंतजार है। अब महाराज आ गए हैं। उम्मीद है कि मुख्यमंत्री अखाड़ों को अर्धकुंभ मेले का निमंत्रण देंगे, बैठक बुलाकर उनसे वार्ता करेंगे और उनके सुझावों के अनुसार कार्य कराकर मेले को ऐतिहासिक रूप से सफल बनाएंगे।

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