श्रीमहंत हरिगिरि भावनाथ मंदिर से निष्कासित

हरिद्वार। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के संरक्षक व अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि महाराज को जूनागढ़ गुजरात के प्रसिद्ध भावनाथ मंदिर से निष्कासित कर दिया गया है। इनके निष्कासन के पीछे भ्रष्टाचार व अवैध तरीके से मंदिर पर कब्जे की बात सामने आयी है। निष्कासन के पश्चात देर रात्रि तक हरिगिरि महाराज ने मंदिर स्थल से अपना सामान समेट लिया।


इस संबंध में पत्रकारों से वार्ता करते हुए सुक्कड़ श्रीमहंत महेश गिरि बापू महाराज ने बताया कि जूनागढ़, गुजरात स्थित श्री भावनाथ मंदिर में गुरु-शिष्य परम्परा के अनुसार महंताई होती है। महंत की नियुक्ति कलेक्टर द्वारा की जाती है। बताया कि कुछ वर्ष पूर्व श्रीमहंत हरिगिरि महाराज ने मंदिर पर भ्रष्टाचार का खेल खेलकर व तनसुख गिरि बापू का अपहरण कर मंदिर पर कब्जा कर लिया था।


श्रीमहंत महेश गिरि बापू ने बताया कि तनसुख गिरि बापू की समाधि के समय भी इन्होंने चाल चली। चाल अंबा जी मंदिर पर कब्जे को लेकर थी। इन्होंने अंबाजी मंदिर पर कब्जा किया और श्रीमहंत प्रेमगिरि को वहां का महंत बना दिया।


श्रीमहंत महेश गिरि बापू ने बताया कि हरिगिरि ने अधिकारियों और अन्यों से सांठगांठ कर कागजों की पूर्ति की और मंदिर पर कब्जा किया। भेद खुलने पर अधिकारी के खिलाफ भी कार्यवाही की गई। बताया कि पूर्व में हुए आदेश के मुताबिक हरिगिरि महाराज के खिलाफ कोई एक्शन कलेक्टर द्वारा नहीं लिया, किन्तु दो दिन शेष रहते जूनागढ़ कलेक्टर ने हरिगिरि महाराज को मंदिर से बर्खास्त कर दिया।

उन्होंने बताया कि नयी नियुक्ति के लिए हरिगिरि महाराज ने काफी प्रयास किए, किन्तु सरकार की जांच में भ्रष्टाचार और मंदिर पर अवैध कब्जे का मामला प्रकाश में आने पर उन्हें मंदिर से समयसीमा से दो दिन पूर्व ही निष्कासित कर दिया गया।


मंदिर से निष्कासित किया जाना अपने आप में बड़ी घटना है। श्रीमहंत महेश गिरि बापू ने अखाड़े के पदाधिकारियांे ने फर्जीवाड़ा सामने आने पर हरिगिरि महाराज को अखाड़े से निष्कासित करने की मांग की है। जिसके चलते रात्रि में हरिगिरि महाराज ने अपना सारा सामान मंदिर परिसर से खाली कर दिया है।

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