हरिद्वार। भ्रष्टाचार के मामले में कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने विशेष न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। इसके साथ ही हरक सिंह रावत ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी का उपयोग करते हुए उनके खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र किया गया है। ईडी को चुनौती देते हुए कहाकि उन्हें गलत साबित करके दिखाएं। ऐसा हुआ तो वह राजनीतिक संन्यास ले लेंगे, नहीं तो वह षड्यंत्रकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाएंगे। इस मामले में हरक सिंह के तेवर काफी तल्ख दिखायी दे रहे हैं।
विदित हो कि हरक सिंह रावत ने देहरादून के सहसपुर में जमीन 2002 में सुशीला रानी से खरीदी थी। जिनके नाम यह जमीन 1962 से है। उनके पास इस जमीन से जुड़े सभी दस्तावेज हैं, लेकिन केवल राजनीतिक आकाओं के इशारे पर केंद्रीय एजेंसी उन्हें फंसाने का प्रयास कर रही हैं। हरक सिंह रावत का कहना है कि यदि उन पर इस मामले में दोष साबित होता है तो वह राजनीति से संन्यास ले लेंगे।
हरक सिंह मामले में कोर्ट क्या फैसला देती है, यह समय ही बताएगा। किन्तु इतना साफ है कि वर्तमान की राजनीति अपनो पे करम गैरों पे सितम वाली दिखायी दे रही है। यहां न जाने हरकी सिंह जैसे कितने नेता हैं, जिन पर हजारों करोड़ की अकूत सम्पत्ति है। बात यदि तीर्थनगरी हरिद्वार की करें तो यहां भी अरबपति नेताओं की कोई कमी नहीं हैं। कुछ तो ऐसे हैं, जिनका कोई कारोबार नहीं है। बावजूद इसके करोड़ों रुपये की सम्पत्ति के वह मालिक हैं।
कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने नाते-रिश्तेदारों के नाम पर करोड़ों की सम्पत्ति ली हुई है। जबकि जिनके नाम करोड़ों की सम्पत्ति है, उनका भी कोई कारोबार नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि उनके पास करोड़ों की सम्पत्ति आयी कहां से।
यहां केवल एक सत्ता दल के नेता ही इस खेल में शामिल नहीं हैं। उनके साथ इस मामले में विपक्ष के कुछ नेताओं का भी पूरा साथ है। यही कारण है कि विपक्ष इस मामले में खुलकर सत्ताधारी दल के नेताओं के खिलाफ खुलकर आवाज बुलंद नहीं कर पाता।
सूत्र बताते हैं कि तीर्थनगरी के जितनी भी विवादित सम्पत्ति हैं, उनमें कहीं न कहीं सत्ता दल के नेताओं का हाथ है और विपक्ष के कुछ नेताओं का उनको साथ मिला हुआ है। ऋषिकुल की कुछ दिन पूर्व सम्पत्ति को खुर्द-बुर्द करने का प्रयास इसका उदाहरण है।
सवाल उठता है कि जब ईडी हरक सिंह जैसे नेताओं पर शिंकजा कस सकती है तो उन्हें सत्ता दल के नेता क्यों दिखायी नहीं देते। जिनके संबंध में सभी को मालूम हैं। कुछ समय पूर्व में स्कूटर की सवारी करने और खंडहरनुमा मकान में रहने वाले आज कैसे लग्जरी गाडि़यों की सैर कर रहे हैं और महलनुमा मकानों में निवास कर रहे हैं। महल भी एक हो तो समझ में आता है, यहां तो महलों की लम्बी फेहरिस्त है।
सूत्र बताते हैं कि मिस्सरपुर के समीप एक बेनामी सम्पत्ति कई नेताओं के नाम खरीदी गयी थी, जिसमें एक नेता की नीयत बिगड़ गयी और उसने सत्ताधारी नेता को करोड़ों रुपये का चुना लगा दिया।
बहरहाल जिस प्रकार से ईडी को विपक्ष के अलावा सत्ताधारी नेताओं के कारनामे दिखायी नहीं दे रहे हैं और वह अपनों पे करम गैरों पे सितम वाली तर्ज कर कार्य कर रही है, उससे उसकी साख पर बट्टा तो अवश्य लग रहा है। मगर सत्तादल के नेताओं की सांसे अब हलक में अटकने वाली हैं। अनामिका का मोबाइल जांच के लिए चला गया है।
सूत्र बताते हैं कि उसमें निश्चित रूप से कार्यवाही होगी। जिन-जिन नेताओं के मोबाइल में कैद कारनामे सामने आएंगे, उनकी बैंड बजनी तय है। ऐसे में कई नेता बड़ी मुसीबत में फंस सकते हैं। जहां ईडी भी शायद उन्हें बचा न पाए।