अखाड़ों में लिफाफा पद्धति हावी, शोधन की जरूरत: आनंद स्वरुप

प्रयागराज। शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कहा कि भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करना आज करोड़ सनातन धर्म की आकांक्षा है। यदि भारत को हिंदू राष्ट्र तत्काल घोषित नहीं किया गया तो देश की एकता और अखंडता फिर खतरे में पड़ जाएगी। भारत एक बार विभाजन का दंश झेल चुका है, इसलिए इस पर विचार करने की आवश्यकता है।इसके साथ ही अखाड़े के शोधन एवं पुनर्गठन की भी वर्तमान में महती आवश्यकता है।

बुधवार को कुंभ नगरी के सेक्टर 9 स्थित काली सेवा में शिविर में पत्रकारों से वार्ता करते हुए स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कहा कि दुनिया में ईसाइयों के 127, मुसलमानों के 57, बौद्धों के 15 देश हैं। यहां तक कि यहूदियों का भी एक देश इजराइल है, लेकिन दुनिया में करीब पौने दो अरब हिंदुओं की आबादी है, परंतु उनका एक भी देश नहीं है। यही कारण है कि सनातन संस्कृति पर दूसरे धर्म के लोगों के लगातार हमले हो रहे है। यदि भारत हिंदू राष्ट्र घोषित हो जाता है तो सरकारी सनातन संस्कृति की संरक्षण और संवर्धन के लिए कानूनी रूप से जिम्मेदार होंगे, जिससे फिर भविष्य में कोई पाकिस्तान नहीं बनेगा।

शांभवी पीठाधीश्वर ने कहा कि कुछ लोग सनातन बोर्ड के गठन की बात कर रहे हैं। यह बेतुकी की बात है। इससे सीमित लोगों का देश के धार्मिक स्थलों पर एकाधिकार हो जाएगा। यदि देश हिंदू राष्ट्र घोषित हो जाता है तो सनातन बोर्ड के जैसी छोटी बात की जरूरत नहीं पड़ेगी

स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कहा कि जिस प्रकार अखाड़ों की निरंकुश्ता बढ़ती जा रही है उससे साधु समाज आहत है। आज अखाड़े के शंकरी परंपरा के अनुसार पुनर्गठन की जरूरत है। यदि शीघ्र ही इस दिशा में सार्थक प्रयास नहीं किया गया तो अखाड़े की प्रासंगिकता समाप्त हो जाएगी।

उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य ने अखाड़ों की स्थापना सनातन धर्म के संरक्षण और संवर्धन के लिए की थी। आज अखाड़े में लिफाफे की कार्य संस्कृति प्रभावित हो गई है। महामंडलेश्वर एवं मंडलेश्वर बनाए जाने में साधुता एवं विद्वता नहीं देखी जा रही है, यह संत समाज के समक्ष बहुत बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा कि 1 फरवरी को काली सेना शिविर में संतों एवं विद्वान आचार्यों की सभा का आयोजन किया जाएगा। जिसमें अखाड़ों के शोधन एवं पुनर्गठन पर कार्य योजना तैयार की जाएगी।

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