मखाना अद्भुत पोषक तत्वों से भरपूर एक जलीय उत्पाद है।
भारत में यह मुख्यतः जम्मू कश्मीर, पूर्वी पश्चिमी बंगाल के तालाबों, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, आसाम, त्रिपुरा एवं मणिपुर में पाया जाता है।
मखाना बलवर्धक होता है।
इसका क्षुप कांटेदार तथा कमल के सामान जल में होता है।
इसके पुष्प 2.5 से 5 सेमी लम्बे, अंदर की ओर रक्त वर्ण के, चमकीले और बाहर से हरित वर्ण के होते हैं।
इसके फल 5-10 सेमी व्यास के गोलाकार, कांटेदार तथा स्पंजी होते हैं।
इसके बीज मटर के समान या कुछ बड़े होते हैं|
यह संख्या में 8 से 20 तथा कृष्ण वर्ण के होते हैं।
इसे कच्चा या भूनकर खाते हैं।
बालू में भूनने से यह फूल जाते हैं जिन्हे मखाना कहा जाता है।
इसका पुष्पकाल एवं फलकाल अगस्त से जनवरी तक होता है।
इसके बीज में स्टार्च, म्युसिलेज, तैल, अल्फा-टोकोफ़ेरॉल तथा स्टेरॉइडल ग्लाइकोसाइड पाया जाता है।
मखाने में जादूगरी औषधीय गुण भी पाये जाते हैं-
1. मखानों को घी में भूनकर खाने से दस्तों (अतिसार) में बहुत लाभ होता है।
2. मखाने की शर्करा रहित खीर बनाकर उसमें मिश्री का चूर्ण डालकर खिलाने से प्रमेह में लाभ होता है।
3. एक से तीन ग्राम मखानों को गर्म पानी के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से पेशाब के रोग दूर हो जाते हैं।
4. पत्तों को पीसकर लगाने से आमवात तथा संधिवात में लाभ होता है।
5. मखानों को दूध में मिलाकर खाने से दाह (जलन) में आराम मिलता है।
6. मखानों के सेवन से शरीर की अंदरूनी दुर्बलता मिटती है तथा शरीर पुष्ट होता है।
7. रात्रि में 10 मखानों को दूध में डालकर लेने के पुरुषों एवं स्त्रियों के स्वास्थ्य में अभूतपूर्व फायदा होता है।
Dr. (Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
Kankhal Hardwar aapdeepak.hdr@gmail.com
9897902760