- *श्री बद्रीनाथ मंदिर अधिकारियों ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को नहीं माना शंकराचार्य।
- हरिद्वार। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद व स्वामी सदानंद को शास्त्रार्थ की चुनौती देने वाले दण्डी स्वामी गोविंदानंद ने स्वामी अविमुक्तेवरानंद को फर्जी शंकराचार्य बताते हुए इस सम्बोधन का प्रयोग करने को कोर्ट की अवमानना बताया। उन्होंने कहाकि ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज की समाधि के बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरांनद ने मध्य प्रदेश सरकार को भ्रमित कर स्वंय को शंकराचार्य बताकर प्रोटोकॉल लिया और उसी प्रोटोकॉल को लेकर बदरीनाथ धाम पहुंचे। उन्होंने बताया कि इस बात का पता चलने पर उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस भेजा जिस पर संज्ञान लेते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने गृहमंत्री को इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने बताया कि शंकराचार्य का विवाद न्यायालय में विचाराधीन है और कोर्ट ने शंकराचार्य शबद का प्रयोग करने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है तो स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद शकराचार्य शब्द का प्रयोग कर जहां आमजन को भ्रमित करने का कार्य कर रहे हैं वहीं कोर्ट की भी अवमानना कर रहे हैं।
- स्वामी अविमुक्तेश्वरांनद बद्रीनारायण मंदिर में अपना सिंहासन लेकर मंदिर के अंदर जबरन घुसकर भगवान के सामने बैठकर श्री बदरी नारायण भगवान का अपमान करने की कुचेष्टा की। बताया कि इसका उन्होंनें विरोध किया। जिसके चलते 18 नवम्बर को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, स्वामी मुकुंदानंद, स्वामी सहजानंद व अन्यों ने उनके ऊपर हमला करवाया, जिसके संबंध मे ंबदरीनाथ धाम में प्राथमिकी दर्ज करायी गई है। उन्होंने बताया कि उनके विरोध के कारण 2.00 बजे ही स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को सामान्य भक्त की तरह दर्शन करके निकलना पड़ा।
स्वामी गोविंदानंद महाराज ने बताया कि श्री बद्रीनाथ मंदिर समिति को भी स्वयंभू स्वामी अविमुक्तेश्वरांनद की असलियत का पता चल गया और उन्होंने भी अपने पत्र में स्वामी अविमुक्तेश्वरांनद को शंकराचार्य मानने से इंकार कर दिया। साथ ही स्वामी अविमुक्तेश्वरांनद को कपाट बंद कार्यक्रम में भाग लेने से सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पालन करते हुए अविमुक्तेश्वरानंद को इंकार कर दिया।


