सिंघाडे को वैज्ञानिक नाम Trapa Bispinosa/Natans भी कहा जाता है। यह त्रिकोने आकार का फल होता है।
शरीर को मैगनीज तत्व की भी जरूरत होती है। आप चाहे जितने टानिक पी लीजिये, ताकत की दवाएं खा लीजिये, लेकिन जब तक शरीर में इन तत्वों को पूर्ण रूप से पचाने की क्षमता नहीं होगी, दवाएं कोई असर नहीं दिखाएंगी। अकेला सिघाड़ा एक ऐसा फल है, जो शरीर में मैगनीज एब्जार्ब करने की क्षमता बढ़ा देता है और बुढापे में होने वाली अधिकाश बीमारियां सिर्फ मैगनीज की कमी के कारण होती हैं।
जिन महिलाआंे का गर्भकाल कभी पूरा न होता हो या गर्भ के दौरान गर्भ गिरने का डर लगा रहता हो उन्हें खूब ज्यादा सिघाड़े खाने चाहिए। ये भ्रुण को तो मजबूती देता ही है। गर्भवती महिला की भी रक्षा करता है। ये पुरुषों के लिए शुक्रवर्धक औषधि का काम करता है।
सिघाड़े में टैनिन, सिट्रिक एसिड, एमिलोज, एमिलोपैक्तीं, कर्बोहाईड्रेट, बीटा-एमिलेज, प्रोटीन, फैट, निकोटेनिक एसिड, फास्फोराइलेज, रीबोफ्लेविन, थायमाइन, विटामिन्स ए, सी तथा मैगनीज आदि तत्व मौजूद हैं।
यह जल में पैदा होने वाला फल है, तिकोने पत्ते और सफेद फूलों वाले इस पौधे में फल भी तिकोने ही लगते हैं। ताल-तलैयों में आपको इस मौसम में भी इसके पत्ते पानी में फैले हुए मिल जायेंगे।
सिंघाड़े के 33 चमत्कारी फायदे
1ः- एक या दो महीने तक ज्यादा से ज्यादा सिंघाड़े के सेवन से मासिक धर्म सामान्य हो जाता है।
2ः- सिंघाड़े के तने का रस निकाल कर एक-एक बूंद आँख में डालने से किसी भी प्रकार की आँखों की बीमारी दूर हो जाती है।
3ः- जिस व्यक्ति को जरा सी खरोंच लग जाए और खून बहुत ज्यादा निकलता हो उसे तो खूब सिंघाड़े खाने चाहिए ताकि उसकी ये बीमारी दूर हो जाए। सिंघाड़े में रक्त स्तंभक का गुण भी पाया जाता है।
4ः- गर्भवती महिलाओं को दूध के साथ सिंघाड़े खाना चाहिए, गर्भ के सातवें महीने में तो अनिवार्य रूप से इसका प्रयोग करना चाहिए।
5ः- पेशाब में रुकावट महसूस हो रही है तो सिंघाड़े का काढा बनाकर दिन में दो बार ले लीजिये।
6ः- सिंघाड़े ल्यूकोरिया, दस्त, खून में खराबी जैसी बीमारियों को भी ठीक करता है।
7ः- जो लोग अस्थमा के रोगी हैं उनके लिए सिंघाड़ा वरदान से कम नहीं है। अस्थमा के रोगियों को 1 चम्मच सिंघाड़े के आटे को ठंडे पानी में मिलाकर सेवन करना चाहिए। ऐसा नियमित करने से अस्थमा रोग में लाभ मिलता है।
8ः- बवासीर के रोग में सिंघाड़े के सेवन से लाभ मिलता है। यदि सूखे या खूनी बवासीर हो तो आप नियमित सिंघाड़े का सेवन करें। जल्द ही बवासीर में कमी आयेगी और रक्त आना बंद हो जाएगा।
9ः- वे महिलाएं जिनका गर्भाशय कमजोर हो वे सिंघाड़े का या सिंघाडे का हलवे का सेवन नियमित करती रहें। निश्चित लाभ मिलेगा।
10ः- सिंघाड़े की बेल को पीसकर उसका पेस्ट, शरीर में जलन वाले स्थान पर लगाने से जलन कम हो जाती है। और लाभ मिलता है।
11ः- यदि मांसपेशियां कमजोर हैं या शरीर में दुर्बलता हो तो आप नियमित सिंघाड़े का सेवन करें एैसा करने से शरीर की दुर्बलता और कमजोरी दूर होती है।
12ः- जिन महिलाओं को मूत्र संबंधी रोग है वें सिंघाड़े का आटा ठंडे पानी में लें।
13ः- सिंघाड़ा पित्त और कफ को खत्म करता है। इसलिए सिंघाड़े का नियमित सेवन करना चाहिए।
14ः- गले से सबंधी बीमारियों के लिए सिंघाड़ा बहुत ही लाभदायक है। गला खराब होने पर या गला बैठने पर आप सिंघाड़े के आटे में दूध मिलाकर पीयें इससे जल्दी ही लाभ मिलेगा। गले में टांसिल होने पर सिंघाड़ा का सेवन करना न भूलें।
15ः-सिंघाडे में आयोडीन की प्रर्याप्त मात्रा होने की वजह से यह घेघां रोग में फायदा करता है।
16ः- आखों की रोशनी को बढ़ाने में भी सिंघाडा फायदा करता है क्योंकि इसमें विटामिन ए सही मात्रा में पाया जाता है।
17ः- नाक से नकसीर यानी खून बहने पर सिंघाड़े के सेवन से फायदा होता है। यह नाक से बहने वाले नकसीर को बंद कर देता है।
18ः- प्रसव होने के बाद महिलाओं में कमजोरी आ जाती है। इस कमजोरी को दूर करने के लिए महिलाओं को सिंघाड़े का हलवा खाना चाहिए यह शरीर में होने वाली कमजोरी को दूर करता है।
19ः- कैल्शियम की सही मात्रा की वजह से सिंघाड़ा हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाता है।
20ः- सिंघाड़े के इस्तेमाल से पुरूषों के वीर्य में बढ़ोत्तरी होती है। साथ यह काम की क्षमता को भी बढ़ता है। इसका प्रयोग आप सिंघाड़े के हलवे के रूप में भी कर सकते हैं।अथवा दूध में दो चम्मच सिंघाड़े का आटा मिलाकर भी प्रयोग कर सकते हैं।
21ः- नीबू के रस में सूखे सिंघाड़े को घिसकर दाद पर प्रतिदिन लगाया जाए तो दाद में आराम मिलता है हलांकि ऐसा करने से दाद वाली जगह पर पहले जलन होती है और फिर ठंडक महसूस होती है।
22ः- सिंघाड़े के आटे में बबूल गोंद, देशी घी और मिश्री मिलाकर लगभग 30 ग्राम प्रतिदिन दूध के साथ लेने से वीर्य की दुर्बलता दूर होती है।
23ः- शक्कर और पिसा हुआ सूखा सिंघाड़ा की समान मात्रा (50-50 ग्राम) लेकर मिला लें। इस चूर्ण को चुटकी भर मात्रा में पानी के साथ सुबह शाम देने से बच्चे बिस्तर में पेशाब करना बंद कर देते है।
24ः- गले में टांसिल्स होने पर सिंघाड़े को पानी में उबालकर इस पानी से प्रतिदिन कुल्ला किया जाए तो टांसिल्स की सूजन दूर होती है।
25ः- कच्चे सिंघाड़े को कुचलकर शक्कर और नारियल के साथ चबाने से शरीर को जबरदस्त ऊर्जा मिलती है, माना जाता है कि यह नुस्खा शारीरिक स्फूर्ति प्राप्त करने के लिए अचूक है।
26ः- पीलिया के मरीज इसे कच्चा या जूस बनाकर ले सकते हैं। यह शरीर से जहरीले पदार्थों को बाहर निकालने में काफी मददगार होता है।
27ः- मैग्नीज और आयोडीन की पर्याप्त मात्रा होने के कारण यह थायरॉइड ग्रंथि की कार्यशैली को सुचारू रखने में भी मदद करता है।
28ः- सिंघाड़ा सूजन और दर्द में मरहम का काम करता है। शरीर के किसी भी अंग में सूजन होने पर सिंघाड़े के छिलके को पीस कर लगाने से आराम मिलता है।
29ः- एडि़यां फटने की समस्या शरीर में मैग्नीज की कमी के कारण होती है। सिंघाड़ा ऐसा फल है, जिसमें पोषक तत्वों से मैग्नीज ग्रहण करने की क्षमता होती है।
30ः- इसके नियमित सेवन से शरीर मोटा और शक्तिशाली बनता है।
31ः- बुखार व घबराहट में फायदेमंद रोज 10-20 ग्राम सिंघाड़े के रस का सेवन करने से आराम मिलता है।
32ः- पेशाब में जलन, रुक-रुक कर पेशाब आना जैसी बीमारियों में सिंघाड़े का सेवन लाभदायक है।
33ः- जिन लोगों की नाक से खून आता है, उन्हें बरसात के मौसम के बाद कच्चे सिंघाड़े खाना फायदेमंद है।
सिंघाड़ा खाने में सावधानियां
एक स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना 5-10 ग्राम ताजे सिंघाड़े खाने चाहिए। पाचन प्रणाली के लिहाज से सिंघाड़ा भारी होता है, इसलिए ज्यादा खाना नुकसानदायक भी हो सकता है। पेट में भारीपन व गैस बनने की शिकायत हो सकती है। सिंघाड़ा खाकर तुरंत पानी न पिएं। इससे पेट में दर्द हो सकता है। कब्ज हो तो सिंघाड़े कम खाएं।
Dr.(Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
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