ऋद्धि-सिद्धी के दाता हैं भगवान गणेश हैंः स्वामी विश्वात्मानंद

श्री शम्भू पंचायती अटल अखाड़े में श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया गया गणेश चतुर्थी उत्सव

हरिद्वार। कनखल सन्यास रोड़ स्थित श्री शम्भू पंचायती अटल अखाड़े में गणेश चतुर्थी उत्सव श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर श्री गणपति सहस्त्र अर्थवशीश पाठ, गणपति महाभिषेक एवं गणपति महायज्ञ का आयोजन किया गया। अखाड़े के पंच परमेश्वर के संयोजन में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता अटल पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती महाराज ने की।

कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालु भक्तों को गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं देते हुए स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि अटल अखाड़े के इष्टदेव एवं रिद्धि सिद्धी के दाता भगवान गणेश अपने भक्तों के सभी संकटों और कष्टों को दूर कर सुख समृद्धि प्रदान करते हैं। सभी को श्रद्धाभाव के साथ भगवान गणेश की पूजा आराधना करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म संस्कृति को शिखर पर ले जाने में आदि गुरू शंकराचार्य द्वारा स्थापित अखाड़ा परंपरा का प्रमुख योगदान है। जब-जब राष्ट्र और धर्म पर संकट आया तो अखाड़ों ने आगे बढ़कर संघर्ष किया और राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा की।

श्रीमहंत सत्यम गिरी महाराज ने कहा कि भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर अध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर करने के साथ संत समाज ने मानव सेवा में भी हमेशा अहम योगदान किया है। उन्होंने कहा कि सभी देवताओं में प्रथम पूज्य भगवान गणेश भक्तों का कल्याण करते हैं।

अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने सभी को गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं देते कहा कि सनातन धर्म संस्कृति में पर्वो का विशेष महत्व है। दस दिनों तक चलने वाले गणेश महोत्सव में घर-घर भगवान गजानन की आराधना की जाती है। जिससे नकारत्मकता दूर होती है और भक्तों के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है।

श्रीमहंत मंगल पुरी, श्रीमहंत बलराम भारती, श्रीमहंत सुन्दर गिरी, स्वामी प्रमोद गिरी, स्वामी गौतम गिरी ने भी भक्तों को गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं देते हुए आशीवर्चन प्रदान किए। इस अवसर पर महंत सूर्य मोहन गिरी, स्वामी कृष्णानंद, महंत विष्णुदास, महंत गोविंददास, महंत प्रेमदास, महंत नारायण दास पटवारी, महंत सूरजदास, महंत राघवेन्द्र दास सहित बड़ी संख्या में संत महापुरूष व श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।

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